इंडिया न्यूज, New Delhi News। Monkeypox In India : देश दुनिया में मंकीपाक्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। अभी बीते दिनों केरल में मंकीपाक्स संक्रमण की चपेट में आने से एक लड़के की मौत हो गई। अब तक देश में मंकीपाक्स के आठ मामले दर्ज हो चुके हैं। बता दें जिस लड़के की केरल में मौत हुई है वह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में ही मंकीपाक्स से संक्रमित पाया गया था।
बता दें कि देश में मंकीपाक्स के केस मिलने से सरकार की टेंशन बढ़ गई है। अब तक केरल, तमिलनाडु और दिल्ली में मंकीपाक्स संक्रमित मरीज मिले हैं। आइए जानेंगे केरल में मरने वाला मरीज कौन था। मंकीपाक्स के क्या हैं लक्षण हैं।
बता दें कि इस बात के लिए डब्ल्यूएचओ कहता आ रहा है कि समलैंगिक पुरुषों में मंकीपाक्स के संक्रमण की ज्यादा संभावना है। या जिस पुरुष का संबंध दूसरे पुरुष से रहता है उन्हें मंकीपाक्स होने का खतरा ज्यादा है। इस बात को लेकर कम्यूनिटी में हलचल थी।
अब डब्ल्यूएचओ ने नई हेल्थ एडवाइजरी जारी की है जिसमें कहा है कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि मंकीपाक्स का खतरा केवल पुरुषों के साथ यौन संबंध यानी सेक्स करने वाले पुरुषों तक ही सीमित नहीं है। कोई भी व्यक्ति, जो किसी संक्रमित व्यक्ति के कान्टैक्ट में है, उसे मंकीपाक्स होने का खतरा ज्यादा है।
बुखार आना। शरीर में दर्द होना। ठंड लगना। थकान और सुस्ती बनी रहना। मांसपेशियों में दर्द होना। बुखार के समय बहुत ज्यादा खुजली वाले दाने उभर सकते हैं। चेहरे, हाथ और शरीर के बाकी हिस्सों पर चकत्ते और दाने होना।
अभी तक दुनियाभर में मई के बाद 78 देशों में मंकीपाक्स के लगभग 20,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा मौत अफ्रीका में हुई हैं। यहां 75 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में एक और स्पेन में दो मंकीपॉक्स से मौत हुई है।
मरीज त्रिशूर के पुन्नियूर का रहने वाला था। यूएआई से लौटने के बाद 22 वर्षीय त्रिशूर निजी अस्पताल में भर्ती था। जहां उसकी मौत भी हुई। वह 22 जुलाई को केरल पहुंचा था और 26 जुलाई को बुखार होने के बाद अस्पताल पहुंचा था।
बाद में उसे दूसरे अस्पताल ले जाया गया, जहां लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था। केरल स्वास्थ्य विभाग ने उसके सैंपल अलाप्पुझा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वायरोलॉजी के केरल ब्रांच को भेजे थे।
बताया जाता है कि पहले इस बात का पता नहीं चल पाया था कि मौत की वजह क्या है। मौत का सही कारण तलाशने के बाद कंफर्म किया गया कि युवक की मौत का असल कारण मंकीपाक्स था। मरीज में इंसेफलाइटिस और थकान के लक्षण भी थे।
विशेषज्ञ मुताबिक मंकीपाक्स चेचक के जैसी बीमारी है, जो कोरोनावायरस की तरह फैल रही है। कहा जा रहा है जिन लोगों को चेचक का टीका है, उन्हें मंकीपाक्स का खतरा कम है।
दरअसल 1980 के पहले पैदा हुए लोगों को चिकन पाक्स या स्माल पाक्स की वैक्सीन लग चुकी है। उसके बाद जन्मे लोगों को मंकीपाक्स का जोखिम हो सकता है। यानी 42 साल से कम उम्र के लोगों पर मंकीपाक्स का बड़ा खतरा है। साथ ही सबसे अधिक खतरा बच्चों को है।
सभी हेल्थ सेंटर्स ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखें, जिनके शरीर पर दाने दिखते हैं। उन पर नजर रखें, जिन्होंने पिछले 21 दिनों में मंकीपाक्स सस्पेक्टेड देशों की यात्रा की हो।
संदिग्ध केस को हेल्थकेयर फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाएगा, जब तक मरीज के शरीर में दानों से पपड़ी नहीं उधड़ जाती। मंकीपाक्स संदिग्ध मरीजों के फ्लूइड या खून का सैंपल एनआईवी पुणे में टेस्ट के लिए भेजा जाएगा।
अगर कोई पाजिटिव केस पाया जाता है, तो फौरन कान्टैक्ट ट्रेसिंग शुरू की जाएगी। विदेश से आने वाले यात्रियों को ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए, जो स्किन की बीमारी से पीड़ित हों।
यात्रियों को चूहे, गिलहरी, बंदर सहित जिंदा और मरे हुए जंगली जानवरों के संपर्क में भी नहीं आना चाहिए। अफ्रीकी जंगली जानवरों से बनाए गए प्रोडक्ट्स जैसे-क्रीम, लोशन और पाउडर का इस्तेमाल करने से बचें।
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