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Lithium Reserve: फरवरी में मिले लिथियम के भंडार की होगी निलामी, राज्य सभा में खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दी जानकारी

Gaurav Kumar • LAST UPDATED : March 14, 2023, 12:31 am IST

बिज़नेस डेस्क/नई दिल्ली (Lithium Reserve: Lithium is a non-ferrous metal and is one of the key components in EV batteries) : जम्मू-कश्मीर में पिछले महीने फरवरी में मिले लिथियम के भंडार की सरकार निलामी करवाएगी। खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को राज्य सभा में इसकी जानकारी दी। लिथियम एक अलौह धातु है जो बैटरी बनाने में प्रमुख भुमिका निभाती है। तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रीक वाहनों की डिमांड के वक्त इतनी बड़ी मात्रा में लिथियम का मिलना भारत को आत्मनिर्भर बनाता है।

  • निलामी के बाद होगा लिथियम का खनन
  • ग्रीन एनर्जी में मिलेगा फायदा
  • पर्यावरणविद् खनन से चिंतित

निलामी के बाद होगा लिथियम का खनन

मंत्री प्रह्लाद जोशी राज्यसभा में बोलते हुए कहा “जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा मिनरल ब्लॉक की कंपोजिट लाइसेंस (सीएल) के रूप में नीलामी की जाएगी। सफल बोली लगाने वाले द्वारा नीलामी के बाद वित्तीय व्यवहार्यता निर्धारित की जाएगी”। लिथियम के निष्कर्षण की संभावित तिथि मिनरल ब्लॉक की सफल नीलामी पर निर्भर करेगी।

मंत्री जोशी ने कहा “जीएसआई (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण) ने फील्ड सीजन 2020-21 और 2021-22 के दौरान जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमना क्षेत्रों में जी3 चरण की परियोजना को अंजाम दिया और 5.9 मिलियन टन लिथियम के अनुमानित संसाधन (जी3) का अनुमान लगाया। अयस्क और रिपोर्ट केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार को सौंप दी गई है”

ग्रीन एनर्जी में मिलेगा फायदा

पिछले महीने 9 फरवरी को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पुष्टि की कि जम्मू और कश्मीर में 5.9 मिलियन टन अनुमानित लिथियम संसाधन स्थापित किए गए हैं। लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीएस), सोलर पैनलों और विंड टर्बाइनों के लिए बैटरी के प्रमुख घटकों में से एक है। लिथियम का यह भंडार जम्मू और कश्मीर में रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में मिला है।

पर्यावरणविद् खनन से चिंतित

हर सिक्के के दो पहलूओं की तरह जहां एक तरफ ऊर्जा विशेषज्ञों और ईवी क्षेत्र के लोगों का मानना है कि यह भंडार देश के ऊर्जा परिवर्तन को एक प्रमुख बढ़ावा देगी तो वहीं दूसरी ओर, पर्यावरणविद् इस बात से चिंतित हैं कि भूगर्भीय और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में खनन विनाशकारी प्रभाव पैदा कर सकता है क्योंकि यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।

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