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सत्ता में आने के लिए बड़ा रोल निभाएगा दूसरा चरण, समझिए हर सीट का सियासी समीकरण

Rajesh kumar • LAST UPDATED : April 25, 2024, 9:58 pm IST

India News (इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों (एक केंद्र शासित प्रदेश) की 88 सीटों पर मतदान होगा। पहले इस चरण में 89 सीटों पर मतदान होना था, लेकिन मध्य प्रदेश की बैतूल सीट पर बीएसपी उम्मीदवार की मौत के कारण 88 सीटों पर चुनाव हो रहा है। इन सीटों पर कुल 1198 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 1097 पुरुष और 100 महिला उम्मीदवार हैं। एक उम्मीदवार थर्ड जेंडर है। लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण 2024 में सरकार की किस्मत का फैसला करने वाला है, क्योंकि पिछले दो चुनावों में बीजेपी 50 फीसदी से ज्यादा सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही है। ऐसे में बीजेपी को सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए अपनी सीटें बचानी होंगी, वहीं कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारतीय गठबंधन के लिए यह चरण अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। क्या इस चरण में राहुल गांधी की किस्मत का भी होगा फैसला?

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आपको बता दें कि दूसरे चरण में असम से 5, बिहार से 5, छत्तीसगढ़ से 3, कर्नाटक से 14, केरल से 20, मध्य प्रदेश से 6, महाराष्ट्र से 8, राजस्थान से 13, उत्तर प्रदेश से 8, उत्तर प्रदेश से 3 बंगाल, जम्मू और कश्मीर की 1, मणिपुर और त्रिपुरा की 1 सीट पर वोटिंग होगी। दूसरे चरण के मतदान के साथ ही राजस्थान, केरल, त्रिपुरा और मणिपुर की सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाएंगे।

महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक राजनीतिक हालात बदले

2019 के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो जिन 88 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से बीजेपी खुद 52 सीटें जीतने में कामयाब रही है। कांग्रेस को 18 सीटें मिली थीं। जबकि अन्य पार्टियों को 18 सीटें मिली थीं। इसमें बीजेपी के सहयोगियों को 7 सीटें मिली थीं। 11 सीटें कांग्रेस के सहयोगियों और अन्य विपक्षी दलों ने जीतीं। इस बार महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक सियासी हालात बदले हुए हैं, जिसके चलते इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प है।

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लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण राजनीतिक दलों के किले को लेकर है। दूसरे चरण की 88 सीटों के विश्लेषण से साफ पता चलता है कि 34 सीटें ऐसी हैं जिन पर पिछले तीन लोकसभा में एक ही पार्टी का कब्जा रहा है। वहीं, 54 सीटों पर बदलाव हुआ है। इसमें कुछ सीटों पर किसी का दो बार कब्जा रहता है तो कुछ सीटों पर हर बार सांसद बदल जाते हैं। इस तरह दूसरे चरण में ये 54 सीटें 2024 की सत्ता तय करेंगी।

पिछले चुनाव का राजनीतिक ग्राफ

हालांकि, पिछले तीन लोकसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो चुनाव दर चुनाव बीजेपी का राजनीतिक ग्राफ बढ़ा है। जबकि कांग्रेस का राजनीतिक आधार गिर गया है। दूसरे चरण की 88 सीटों में से बीजेपी ने 2009 में 26 सीटें जीती थीं लेकिन 2014 में पार्टी बढ़कर 42 सीटों पर पहुंच गई। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें बढ़कर 52 हो गईं। कांग्रेस ने 2009 में जहां 37 सीटें जीती थीं, वहीं 2014 में घटकर 20 सीटें रह गईं। 2019 के चुनाव में वह 18 सीटों पर सिमट गईं।

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वहीं 2009 से 2019 के बीच बीजेपी का ग्राफ दोगुना हो गया और कांग्रेस की सीटें आधी हो गईं। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 69 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है जबकि कांग्रेस 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की पार्टियों पर नजर डालें तो एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा, जेडीयू ने 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा आरएसपीएस 1 सीट और जेडीएस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

वे सीटें जहां जीत का अंतर दो फीसदी से कम

वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले भारतीय गठबंधन के घटक दलों पर नजर डालें तो राजद को 2 सीटें, सपा को 4 सीटें, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 2 सीटें, आरसीपी को 1 सीट, केसीएम को 1 सीट, एनसीपी को 1 सीट, उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 1 सीट मिली है। 4 सीटों पर उतारे उम्मीदवार। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जिन 72 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 56 सीटों पर उसे 40 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर मिला था, जबकि कांग्रेस को 26 सीटों पर 40 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर मिला था। इसके अलावा 23 सीटों पर वोट शेयर 30 से 40 फीसदी के बीच रहा।

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इस तरह बीजेपी भारी अंतर से सीटें जीतने में कामयाब रही और कांग्रेस को कई सीटें गंवानी पड़ीं। दूसरे चरण में सात लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां 2019 के चुनाव में जीत का अंतर दो फीसदी से भी कम था। इनमें कर्नाटक में चामराजनगर और तुमकुर, केरल में अलाप्पुझा और पलक्कड़, उत्तर प्रदेश में मेरठ, छत्तीसगढ़ में कांकेर और असम में नौगांव शामिल हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने चामराजनगर में 0.14 फीसदी वोटों से जीत हासिल की थी और कांकेर सीट 0।39 फीसदी वोटों से जीतने में कामयाब रही थी। वहीं, 2019 में दूसरे चरण की आठ सीटों पर जीत का अंतर 35 फीसदी से ज्यादा था।

24 लोकसभा सीटें असुरक्षित

इनमें से सात सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। राहुल गांधी ने वायनाड सीट पर 39।5 फीसदी वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। बीजेपी की सात सीटों में राजस्थान की भीलवाड़ा, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और पाली, मध्य प्रदेश की होशंगाबाद और खजुराहो और असम की दीफू शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के लिए मजबूत सीटें हैं।

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2009 के बाद से, मौजूदा चुनावों में 88 में से 14 सीटें बरकरार नहीं रहीं। ये सीटें हैं-अमरोहा, बालुरघाट, बांका, भागलपुर, चलाकुडी, चित्रदुर्ग, हिंगोली, इडुक्की, कन्नूर, करीमगंज, कटिहार, रायगंज, सिलचर और त्रिशूर। 2024 के चुनाव में सब कुछ इन्हीं सीटों पर निर्भर है। दूसरे चरण की लोकसभा सीटों का विश्लेषण करें तो 19 सीटें बीजेपी के लिए सुरक्षित मानी जा रही हैं, क्योंकि 2009 के बाद से तीनों चुनावों में पार्टी ने ये सीटें जीती हैं। वहीं, 24 लोकसभा सीटें असुरक्षित मानी जा रही हैं क्योंकि ये सीटें 2009 के बाद दो बार जीते।

कांग्रेस 22 सीटों पर कमजोर

छह सीटें बीजेपी के लिए कमजोर मानी जा रही हैं, क्योंकि पिछले तीन चुनावों में उसे केवल एक बार ही इन पर जीत मिली है। 11 सीटों पर बीजेपी बेहद कमजोर मानी जा रही है, क्योंकि उन पर उसे जीत नहीं मिल सकी। इसकी तुलना में कांग्रेस आठ सीटों पर सुरक्षित है जबकि 11 पर अपेक्षाकृत सुरक्षित है। कांग्रेस 22 सीटों पर कमजोर है और 28 सीटों पर बहुत कमजोर है। दूसरे चरण में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की 8-8 लोकसभा सीटों पर चुनाव हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 8 में से 7 सीटें जीतीं और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई।

उत्तर प्रदेश की 8 सीटों में से 7 पर बीजेपी और एक सीट पर बीएसपी ने जीत हासिल की थी। बीजेपी राजस्थान में 14 और छत्तीसगढ़ में 3 सीटें जीतने में सफल रही। इसी तरह त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में भी बीजेपी ने 1-1 सीट जीती। वहीं, केरल में बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली और कांग्रेस गठबंधन ने 20 में से 19 सीटों पर जीत हासिल की। बिहार की पांच सीटों में से चार जेडीयू और एक सीट कांग्रेस ने जीती थी।

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