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Naseeruddin Shah: नसीरुद्दीन शाह का एक और विवादित बयान आया सामने, फिल्मफेयर पुरस्कार को लेकर कहीं यह बात

Simran Singh • LAST UPDATED : June 5, 2023, 9:17 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Naseeruddin Shah, दिल्ली: नसीरुद्दीन शाह उद्योग के सबसे प्रशंसित अभिनेताओं में से एक हैं, जिन्होंने वर्षों से अपने प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार जीते हैं। नसीरुद्दीन शाह ने पार, स्पर्श और इकबाल में अपने काम के लिए तीन राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं।

उन्होंने आक्रोश, चक्र और मासूम में अपने प्रदर्शन के लिए तीन फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते हुए हैं। वहीं अभी अभिनेता अपने द केरल स्टोरी के बयान पर सुरखियों में आए थे और अब उनका अक और बयान तेजी से वायरल हो रहा हैं। उन्होंने उन पुरस्कारों को लेकर कहां है जो उन्हें उनकी फिल्मों के लिए दिए गए थें।

पुरस्कार पर नसीरुद्दीन शाह का वायरल बयान

नसीरुद्दीन शाह ने उनकों मिले पुरस्कार को लेकर एक बयान दिया है जो अब तेजी से वायरल हो रहा है। नसीरुद्दीन शाह ने कहा “कोई भी अभिनेता जिसने एक भूमिका निभाने में अपना जीवन और प्रयास लगाया है, वह एक अच्छा अभिनेता है। यदि आप बहुत में से एक व्यक्ति को चुनते हैं और कहते हैं कि ‘यह वर्ष का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता है’, तो यह कैसे उचित है?

मुझे गर्व नहीं है उन पुरस्कारों पर, मैं मुझे मिले पिछले दो पुरस्कारों को लेने भी नहीं गया था। इसलिए, जब मैंने एक फार्महाउस बनाया तो मैंने इन पुरस्कारों को वहां रखने का फैसला किया। जो भी वॉशरूम जाएगा, उसे दो-दो पुरस्कार मिलेंगे क्योंकि हैंडल फिल्मफेयर के पुरस्कार से बन हैं।”

शाह ने कहा “पुरस्कार और कुछ नहीं बल्कि लॉबिंग का परिणाम”

अभिनेता ने यह भी दावा किया कि पुरस्कार और कुछ नहीं बल्कि लॉबिंग के परिणाम हैं, और कहा, “मुझे इन ट्राफियों में कोई मूल्य नहीं मिला। जब मुझे शुरुआती पुरस्कार मिले तो मैं खुश था। लेकिन फिर, मेरे चारों ओर ट्राफियां जमा होने लगीं। देर-सवेर मैं समझ गया कि ये पुरस्कार लॉबिंग का परिणाम हैं। किसी को ये पुरस्कार उनकी योग्यता के कारण नहीं मिल रहे हैं। इसलिए मैंने उन्हें पीछे छोड़ना शुरू कर दिया।

उसके बाद जब मुझे पद्म श्री और पद्म भूषण मिला तो मुझे अपने दिवंगत पिता की याद आ गई जो हमेशा मेरी नौकरी को लेकर चिंतित रहते थे और कहते थे कि ‘यह फालतू का काम करोगे तो मूर्ख बन जाओगे’। इसलिए, जब मैं पुरस्कार लेने के लिए राष्ट्रपति भवन गया, तो मैंने ऊपर देखा और अपने पिताजी से पूछा कि क्या वह यह सब देख रहे हैं… वह थे… और मुझे यकीन है कि वह खुश थे… मैं उन पुरस्कारों को पाकर खुश था। लेकिन मैं इन प्रतिस्पर्धी पुरस्कारों को बर्दाश्त नहीं कर सकता।”

 

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