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सुप्रीम कोर्ट से अखिलेश यादव को बड़ी राहत, आय से अधिक संपत्ति मामले में सुनवाई से किया इंकार

Akanksha Gupta • LAST UPDATED : March 13, 2023, 5:32 pm IST

Akhilesh Yadav Disproportionate Assets Case: समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आज सोमवार,13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनके पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव और उनसे जुड़ी आय से ज्यादा संपत्ति मामले में अदालत ने आगे सुनवाई करने से इंकार कर दिया है।

चीफ जस्टिस डी वाई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि सीबीआई ने साल 2013 में मामले में प्राथमिक जांच करने के बाद केस बंद कर दिया था। साथ ही अब मुलायम सिंह यादव का भी निधन हो चुका है। तो मामले में अब सुनवाई की ज़रूरत नहीं है। याचिकाकर्ता की इस मांग को भी SC ने ठुकरा दिया है कि उन्हें मामले की अंतिम रिपोर्ट की कॉपी देने का निर्देश दिया जाए।

जानें क्या है पूरा मामला?

विश्वनाथ चतुर्वेदी नाम के वकील ने साल 2005 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, उनके बेटे अखिलेश यादव और बहु डिंपल यादव सहित दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से करोड़ों से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 1 मार्च 2007 को इस आरोप की प्राथमिक जांच के लिए CBI को आदेश दिया था।

सीबीआई ने अक्टूबर 2007 में अदालत को बताया था कि मामले में शुरुआती जांच में मुकदमा दर्ज करने लायक उन्हें सबूत मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने डिंपल यादव को 2012 में जांच के दायरे से बाहर कर दिया था। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ जांच जारी रही।

याचिकाकर्ता ने सीबीआई से मांगी रिपोर्ट

याचिकाकर्ता ने मार्च 2019 में नया आवेदन दाखिल करते हुए आरोप लगाते हुए कहा था कि सीबीआई ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। लिहाजा अदालत इस मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगे। मामले में सुनवाई कर रहे तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताते हुए कहा कि जांच में हुई तरक्की की 12 साल बाद भी किसी को जानकारी नहीं है।

सीबीआई ने मामले में दिया ये जवाब

वहीं सीबीआई ने मामले में चौंकाने वाला जवाब देते हुए कहा कि शुरुआती जांच में उसे नियमित FIR दर्ज करने लायक सबूत नहीं मिले थे। जिसके चलते 2013 अगस्त में ही मामले की जांच बंद कर दी गई थी। CBI ने अपने जवाब में आगे कहा कि अपना कानूनी दायित्व निभाते हुए उसने अक्टूबर 2013 में ही केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को इस बात की जानकारी दे दी थी। साथ ही सीवीसी को सीबीआई ने जांच बंद करने के अपने फैसले की विस्तृत वजह भी बता दी थी।

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