उत्तर प्रदेश में बनी खादी अब नए जमाने की मांग के मुताबिक कदमताल करेगी। खादी के कपड़े बनाने वाले सरकारी केंद्रों का आधुनिकीकरण होगा। परंपरागत की जगह सोलर चरखे लगाए जाएंगे। खादी को निखारने के लिए नामी संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नालाजी (निफ्ट) की मदद ली जाएगी।
अजय त्रिवेदी, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बनी खादी अब नए जमाने की मांग के मुताबिक कदमताल करेगी। देश विदेश तक पहुंचाने में आनलाइन प्लेटफार्म का सहारा लिया जाएगा। नामचीन फैशन डिजायनरों और बड़ी संस्थाओं की मदद से प्रदेश में बनी खादी को नए जमाने के मुताबिक बनाया जाएगा।
प्रदेश में खादी के कपड़े बनाने वाले सरकारी केंद्रों का भी आधुनिकीकरण होगा और वहां परंपरागत की जगह सोलर चरखे लगाए जाएंगे। खादी को निखारने के लिए नामी संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नालाजी (निफ्ट) की मदद ली जाएगी।
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग की कार्ययोजना के मुताबिक इसके कपड़ों को आकर्षक लुक देकर इसे युवाओं और फैसनपरस्तों की पसंद बनाया जाएगा। परंपरागत परिधानों से इतर उत्तर प्रदेश में तैयार होने वाली खादी की रेंज भी बढ़ाई जाएगी। अब खादी सिर्फ कपड़ों तक ही सीमित नहीं रहेगी। खादी के कपड़ों के जरिए जूते, बैग, फैंसी पर्स आदि भी तैयार किए जाएंगे।
सरकार ने इस बाबत अगले पांच साल के लिए मुकम्मल कार्य योजना भी तैयार की है। पिछले दिनों अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्ययोजना को देखा और जरूरी निर्देश भी दिए।
कार्ययोजना के मुताबिक खादी के सूत की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए खादी उत्पादन केंद्रों की तकनीक को आधुनिक बनाएगी। प्रदेश सरकार बड़े पैमाने पर सोलर चरखों का भी वितरण करेगी। जिनको ये चरखे दिए जाएंगे उनको इसे चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
अगले पांच साल में विभाग ने 5000 सोलर चरखों के वितरण का ल्क्ष्य रखा है। इससे धागों की गुणवत्ता तो सुधरेगी ही उत्पादन भी बढ़ जाएगा। कार्ययोजना के मुताबिक पंडित दीनदयाल खादी विपणन विकास सहायता योजना (एमडीए) के तहत अगले पांच वर्षों में 25 हजार महिला कातिनों एवं बुनकरों को लाभान्वित किया जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में खादी के 14 सरकारी केंद्र हैं। इन केंद्रों के पुराने लूम की जगह नए सोलर लूम लगाए जाएंगे। इसके साथ ही योगी सरकार मांग बढ़ाने के लिए खादी को फैशन के अनुरूप बनाने, रेंज बढ़ाने के साथ मार्केटिंग पर भी जोर देगी। इसके लिए खादी एवं ग्रामोद्योग के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से जोड़ा जाएगा।
अपर मुख्य सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग, डा नवनीत सहगल के मुताबिक खादी एवं ग्रामोद्योग संभावनों का क्षेत्र है। इकोफ्रेंडली होने के साथ न्यूनतम संरचना,कम पूंजी और कम जोखिम में इससे जुड़े उद्योग को लगाया जा सकता है। पूंजी के अनुपात में स्थानीय स्तर पर यह सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है।
सूत बनाने का काम अधिकांश महिलाएं करती हैं। लिहाजा उनको स्वावलंबी बनाकर यह मिशन शक्ति में भी मददगार है। कोरोना संकट के दौरान बड़े पैमाने पर खादी के मास्क तैयार किए गए थे। प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों के बच्चों की ड्रेस के लिए खादी ग्रामोद्योग विभाग को आपूर्तिकर्त्ता बनाया है।
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