India News (इंडिया न्यूज),Delhi Dowry Case: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बिना मांगे दहेज मिलने के आरोप में ससुराल पक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब तक दोनों पक्षों की ओर से मुकदमे के दौरान पुख्ता साक्ष्य पेश नहीं किए जाते, तब तक यह निर्धारित करना कठिन है कि दहेज की मांग की गई थी या नहीं। याचिकाकर्ता ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के जुलाई 2022 के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी, जिसमें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नवजीत बुद्धिराजा ने सुनवाई की।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए सास-ससुर और साले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पत्नी के परिवार ने भी विवाहिता के साथ क्रूरता का मामला दर्ज करा रखा है। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के ससुराल पक्ष ने एफआईआर दर्ज करते समय खुद यह स्वीकार किया था कि उन्होंने दहेज दिया था, जो दहेज निषेध अधिनियम के तहत अपराध है। अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, दहेज देने और लेने दोनों पर दंड का प्रावधान है।
Delhi Dowry Case
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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने यह तथ्य छिपाया कि उसकी पत्नी और ससुराल पक्ष ने उस पर लगातार दहेज मांगने का गंभीर आरोप लगाया था। ऐसे में बिना दोनों पक्षों की गवाही और सबूतों के आधार पर किसी नतीजे पर पहुंचना कठिन है।
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