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Bhupen Hazarika's death Anniversary: भारत रत्न भूपेन हजारिका के आज पुण्य तिथि पर पढ़ें ये खास बातें

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : November 5, 2023, 2:16 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Bhupen Hazarika’s death Anniversary: देश के सबसे सम्मानित संगीत कलाकारों में से एक, सुधाकांत कहे जाने वाले भूपेन हजारिका की आज 5 नवंबर को मृत्यु तिथि है। ब्रह्मपुत्र के बार्ड के नाम से मशहूर हजारिका का जन्म 8 सितंबर, 1926 को असम के सदिया के शहर में हुआ था। भारत रत्न हजारिका का 5 नवंबर, 2011 को 85 वर्ष की आयु में वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों के कारणों की वजह से मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। तो चलिए जानते हैं इनसे जुड़ी कु खास बातें..

Assam celebrates Bharat Ratna to Dr Bhupen Hazarika - The Economic Times

ब्रह्मपुत्र से जुड़ी ये 10 महत्वपुर्ण बातें-

  1. हभूपेन हजारिका का जन्म कलाकारों के परिवार में हुआ था और वह अपने 10 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।
  2. इसके साथ ही उन्होने यह कला अपनी माँ से प्राप्त किया जिन्होंने उन्हें असमिया लोक संगीत से परिचित कराया।
  3. बचपन के दिनों से ही संगीत उनके आसपास था, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि, हजारिका एक संगीत प्रतिभा बन गए और 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली मौलिक कला कृति बनाई।
  4. हजारिका ने अपनी पहला गीत तब लिखा जब वह किशोर थे और उन्होंने प्रसिद्ध असमिया गीतकार ज्योतिप्रसाद अग्रवाल और कलाकार बिष्णु प्रसाद राभा का ध्यान आकर्षित किया था। पेशेवर और कलात्मक मार्गदर्शन के साथ ही हजारिका की प्रतिभा और भी बेहतर हुई।
  5. हजारिका ने 1944 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्त किया इसके साथ ही और 1946 में राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री हासिल की।
  6. अपने संगीत करियर को आगे बढ़ाने से पहले ही, उन्होंने 1952 में कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।
  7. 50 के दशक की शुरुआत में न्यूयॉर्क में अध्ययन करते हुए, हजारिका की दोस्ती एक प्रसिद्ध नागरिक अधिकार कार्यकर्ता पॉल रॉबसन से हुई थी। जिनके प्रभाव ने उन्हें प्रसिद्ध गीत बिस्टिर्नो पारोर की रचना करने के लिए प्रेरित किया। जो रॉबसन के ओल ‘मैन रिवर की कल्पना और थीम पर आधारित था, जिसने बड़े पैमाने पर नस्लीय भेदभाव पर प्रकाश डाला था। इसके साथ ही देश में। यह गीत हजारिका के करियर के निर्णायक क्षणों में से एक बन गया और आज भी इसे उनकी महाकाव्य रचनाओं में से एक माना जाता है। जिसका विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
  8. हजारिका ने अपने रचनात्मक करियर का विस्तार किया और शकुंतला सूर (1961) और प्रतिध्वनि (1964) जैसी कई पुरस्कार विजेता असमिया फिल्मों का निर्देशन भी किया।
  9. हजारिका ने हिंदी सिनेमा में भी काम किया और उनके कुछ प्रमुख योगदानों में अरोप, एक पल और रुदाली जैसी फिल्मों के लिए संगीत रचना शामिल है।
  10. बता दें कि, 1993 में रुदाली के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1998 से 2003 तक संगीत नाटक अकादमी में अध्यक्ष का पद संभाला।

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