Gold Prices Today
Gold Prices Today: 4 दिसंबर की सुबह गोल्ड की कीमतों में कल के निचले स्तर से 1.18 प्रतिशत की रिकवरी देखने को मिली, और यह डॉलर 4 हजार 213 प्रति औंस के आसपास कारोबार तेज़ी से किया जा रहा था. तो वहीं, भारत में, दिसंबर गोल्ड फ्यूचर्स भी 1 लाख 30 हजार 350 प्रति 10 ग्राम पर 0.46 प्रतिशत की मजबूती के साथ बंद हुआ, जो 17 अक्टूबर के बाद के उच्चतम स्तर के बेहद ही करीब माना जाता है.
जानकारी के मुताबिक, US फेडरल रिजर्व पॉलिसी मीटिंग में ब्याज में दरों में एक बार फिर से कटौती की उम्मीद से गोल्ड को ग्लोबल सपोर्ट तेज़ी से देखने को मिल रहा है. ग्लोबल सेफ-हेवन डिमांड के अनुसार, आशिका ग्रुप के राहुल गुप्ता के मुताबिक वैश्विक स्तर पर ‘सेफ-हेवन’ एसेट (Safe-Haven) के रूप में सोने की मांग लगातार और भी ज्यादा मजबूती से की जा रही है.
बात करें रुपये की कमज़ोरी के बारे में तो, भारत-US ट्रेड डील को लेकर रिकॉर्ड तेज़ी के बीच रुपये में गिरावट से MCX गोल्ड को पहले से और भी ज्यादा मज़बूती मिल रही है. तो वहीं, दूसरी तरफ सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की लगातार खरीदारी से भी कीमतों को बल मिल रहा है.
LKP सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि बाजार की निगाहें इस हफ्ते जारी होने वाले ADP नॉनफार्म पेरोल्स और कोर PCE प्राइस इंडेक्स पर लगातार बनी हुई हैं, जो सोने के लिए बड़े ट्रिगर का काम करने वाले हैं. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि बाजार की नज़र जिन दो बड़े ट्रिगर्स, ADP नॉनफार्म पेरोल्स और कोर PCE प्राइस इंडेक्स पर है, उनका सोने की कीमतों पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिलता है. इसे अमेरिका की अर्थव्यवस्था और फेडरल रिजर्व के फैसलें भी प्रभावित होते हैं.
यह अमेरिका में निजी क्षेत्र की नौकरियों की संख्या में हुए मासिक बदलाव को दिखावे का काम करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक सरकारी रोज़गार रिपोर्ट (Nonfarm Payrolls) से पहले आती है और बाज़ार को नौकरियों की स्थिति की आशंका जताई जाती है.
तो वहीं, दूसरी तरफ अगर नौकरियां उम्मीद से ज़्यादा बढ़ती हैं, तो यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती को भी पूरी तरह से दर्शाता है और साथ ही एक मजबूत अर्थव्यवस्था में, फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें कम करने की किसी प्रकार की जल्दी नहीं होगी. ब्याज दरें बरकरार रहने की उम्मीद से डॉलर मजबूत होता है और सोने की कीमत लगातार गिरती रहती है.
इसके अलावा अगर नौकरियां कम पैदा होती हैं, तो यह आर्थिक सुस्ती का संकेत देता है. इससे फेड पर ब्याज दरें कम करने का दबाव पहले से और भी ज्यादा बढ़ जाता है और दरें कम होने की उम्मीद से सोने की कीमत तेज़ी से बढ़ने लग जाती है.
PCE (Personal Consumption Expenditures) इंडेक्स अमेरिकी उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए खर्च में बदलाव को भी मापने का काम करता है. ‘कोर’ का मतलब है कि इसमें अस्थिर खाद्य (Unstabe Fodd) और ऊर्जा की कीमतों को पूरी तरह से हटा दिया जाता है.
अगर कोर PCE बढ़ता है, तो इसका सीधा मतलब है कि मुद्रास्फीति (Inflation) तेज़ी से बढ़ने लगता है. इसे नियंत्रित करने के लिए फेड ब्याज दरें बढ़ाने के बारे में सोच सकता है, जिससे सोने की कीमत पर लगातार दबाव बना रहता है.
अगर कोर PCE गिरता है, तो मुद्रास्फीति (Inflation) नियंत्रण में मानी जाती है, तो वहीं, इससे फेड को ब्याज दरें कम करने की गुंजाइश देखने को मिलती है. ब्याज दरें कम होने की उम्मीद से सोने की कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि यह मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा कवच की तरह माना जाता है.
ये दोनों डेटा सोने के निवेशकों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण हैं. अगर यह आंकड़े ब्याज दर में कटौती की उम्मीद यानी जैसे कमजोर पेरोल और नियंत्रित PCE), तो सोने की तेज़ी बनी रहती है. तो वहीं, अगर यह आंकड़े फेड को दरें बनाए रखने के लिए प्रेरित करते हैं, तो सोने की कीमतों में गिरावट भी आ सकती है.
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