India News (इंडिया न्यूज), Delhi Assembly Session: दिल्ली विधानसभा के तीसरे दिन विपक्षी विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश करने से रोकने को लेकर राजनीतिक घमासान मच गया। स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने 25 फरवरी को आम आदमी पार्टी (AAP) के 21 विधायकों को उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान हंगामा करने पर तीन दिन के लिए निलंबित कर दिया था। लेकिन जब ये सस्पेंडेड विधायक 27 फरवरी को विधानसभा पहुंचे, तो उन्हें परिसर के गेट पर ही रोक दिया गया। उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिसे लेकर आप पार्टी ने तीव्र विरोध किया।
स्पीकर के इस फैसले के विरोध में नेता प्रतिपक्ष आतिशी के नेतृत्व में आप विधायक विधानसभा के बाहर धरने पर बैठ गए। इस दौरान विधायकों ने नारेबाजी की और “तानाशाही मुर्दाबाद” और “तानाशाही-हिटलरशाही नहीं चलेगी” जैसे विरोधी नारे लगाए। आतिशी ने इस फैसले को भारतीय लोकतंत्र के लिए काला धब्बा बताया और बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह बाबा साहब डॉ. अंबेडकर की तस्वीर से नफरत करती है।
Delhi Assembly Session
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आतिशी ने कहा कि विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोकने का यह कदम बेहद गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के 75 वर्षों के इतिहास में कभी नहीं हुआ कि स्पीकर के आदेश पर विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोका गया हो। वह विशेष रूप से इस बात पर ध्यान दिला रही थीं कि विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष के ऑफिस हैं, जहां प्रशासनिक काम होते हैं। ऐसे में विपक्षी विधायकों को उनके अधिकार से वंचित किया जाना संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। आतिशी ने यह भी कहा कि जब आप के विधायक ‘जय भीम’ के नारे लगा रहे थे, तब उन्हें विधानसभा से निष्कासित कर दिया गया था, जो कि लोकतंत्र पर हमला था। उन्होंने बीजेपी से पूछा कि क्या वे डॉ. अंबेडकर के योगदान और उनके विचारों से नफरत करते हैं।
आतिशी ने आगे कहा कि बीजेपी भले ही आप के विधायकों को सदन से बाहर कर दे या उन्हें परिसर से रोक दे, लेकिन ‘जय भीम’ का नारा देशभर में गूंजेगा और उसे कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि बीजेपी अपनी तानाशाही की वजह से डरती है, क्योंकि वे जानते हैं कि आम आदमी पार्टी आगामी चुनावों में बाबा साहब अंबेडकर और महिलाओं के लिए उनकी योजनाओं जैसे मुद्दों को उठाएगी।
आप के वरिष्ठ नेता और विधायक संजीव झा ने भी स्पीकर के फैसले को लेकर अपनी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद का इतिहास इस तरह के फैसलों से पहले कभी नहीं भरा है। उन्होंने इसे विशेषाधिकार का हनन बताया और कहा कि स्पीकर ने एक अजीब और गलत आदेश जारी किया है, जिससे विधायकों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। संजीव झा ने कहा कि वे कई बार स्पीकर से इस मुद्दे पर बात करने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन स्पीकर इस पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं।
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