By: Kunika Katiyar
• UPDATED :कनिका कटियार, India News (इंडिया न्यूज),Delhi Politics: देश की राजधानी दिल्ली में अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव होने है। दिल्ली चुनावी तैयारी में जुटी हर पार्टी अपनी अपनी तैयारियो में नजर आ रही है चाहे वह आम आदमी पार्टी हो, बीजेपी हो या कांग्रेस पार्टी सभी के प्रदेश पर रणनीति और तैयारी शुरू हो गई है।
दिल्ली देश की राजधानी है और हमेशा से दिल्ली के चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी होती है कि दिल्लीवासियो के दिल पर राज कौन करेगा, इसी कढ़ी में यह विधानसभा चुनाव दिलचस्प बन जाता है। वहीं राजनीतिक दलों की तैयारी की बात करें तो आम आदमी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ख़ुद दिल्ली में घूमते नज़र आ रहे है लेकिन वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस इस तैयारी की कड़ी में पीछे नज़र आती दिखाई दे रही है। दिल्ली कांग्रेस की चुनावी तैयारी फ़िलहाल कमजोर नजर आती दिखाई दे रही है। विधानसभा चुनाव में कमबैक को लेकर दिल्ली में फ़िलहाल कांग्रेस दिल्ली बचाओ न्याय यात्रा कर रही है लेकिन यात्रा में बड़े चेहरे ना होने और संगठन की कमी की वजह से यह रणनीति कांग्रेस की फेल होती नजर आ रही है। दिल्ली चुनाव के मध्यनजर कांग्रेस ने दिल्ली में यात्रा मॉडल के ज़रिए ख़ुद को वापस सत्ता में लाने और खोया हुआ वोट बैंक को वापस कांग्रेस पार्टी के पास लाने की रणनीति तैयार की थी लेकिन दिल्ली यात्रा मॉडल कांग्रेस का कारगर साबित नहीं होता दिख रहा है।
Delhi Politics
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दिल्ली विधानसभा चुनावी में सभी दल तैयारी करते दिखाई दे रहे हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी के पास दिल्ली कांगेस का संगठन मजबूत ना होना सबसे बड़ी चुनौती है। दिल्ली में कांग्रेस अपनी सत्ता की कुर्सी 2014 में खो चुकी थी , जब शीला दीक्षित की सरकार कांग्रेस की दिल्ली में बनी तो वह सरकार लंबे समय तक काम करती नजर आई थी लेकिन आम आदमी पार्टी के आते ही दिल्ली में कांग्रेस सिमट गई और कांग्रेस का वोटर आम आदमी पार्टी के पास चला गया।
दिल्ली में कांग्रेस के पास बड़े चेहरे ना होना और संगठन का कमजोर होना एक बड़ी चुनौती है जिस पर कांग्रेस काम करती नहीं दिखाई दे रही. शीला दीक्षित के बाद पार्टी दिल्ली में किसी चेहरे को प्रोजेक्ट नहीं कर पाई और ना बना पाई जो कि इसलिए हुआ क्यूंकि दिल्ली कांग्रेस नेताओ के बीच का मतभेद। दिल्ली में कांग्रेस के बड़े चेहरे की बात करें तो अजय माखन, संदीप दीक्षित, पवन खेड़ा जैसे कई नेता है हालांकि इन में से कई चुनाव हार भी चुके हैं लेकिन इन चेहरो का कोई इस्तेमाल कांग्रेस नहीं कर पा रही। बीते कई सालों से दिल्ली में कांग्रेस के पास दिल्ली प्रदेश की कोई मजबूत इकाई नहीं है जिसका नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ सकता है। एक और बीजेपी आम आदमी पार्टी को हटा कर ख़ुद दिल्ली में सरकार बनाना चाहती है लेकिन जिस मजबूती से बीजेपी लड़ रही है वह कांग्रेस नहीं कर पा रही जिसकी बड़ा कारण अंतर्कलह और पार्टी लीडरशिप को नजरअंदाज़ी है। हाल में ही दिल्ली में कांग्रेस ने प्रभारी की नियुक्त किया जो कि मुस्लिम चेहरे है वहीं सह प्रभारी में से एक मुस्लिम और एक पंजाबी है लेकिन सही कॉम्बिनेशन पर काम ना कर पाना एक बड़ा कारण है कि कांग्रेस दिल्ली में मजबूत नहीं हो पा रही और जहां पहले थी वहीं नजर आ रही है लेकिन यह बात भी है कि दिल्ली कांग्रेस के नेता आम आदमी पार्टी के साथ गठबधन नहीं करेगी लेकिन इसका अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान को करना है जो कि कांग्रेस का शीश नेतृत्र्व करेगा
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