इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : SUPREME COURT आर्य समाज की तरफ से जारी विवाह प्रमाण पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस केस पर सुनवाई की। केस के बारे में पीठ ने कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाण पत्र जारी करना नहीं है। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट ही विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का काम कर सकता है। किसी संस्था को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उनके सामने असली प्रमाण पत्र पेश किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ एक केस की सुनवाई कर रहे थे। इस केस में कोर्ट ने आर्य समाज की तरफ से जारी विवाह प्रमाण पत्र को कानूनी मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट को कहना है कि यह प्रमाण पत्र जारी करना आर्य समाज के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यह प्रमाण पत्र कोर्ट की तरफ से जारी किया जा सकता है। दरअसल एक प्रेम विवाह के मामले में लड़की के घरवालों ने लड़की को नाबालिग बताया था और प्रेमी के खिलाफ रेप व अपहरण की धारा के तहत केस दर्ज करवाया था।
इस मामले में लड़की के घर वालों ने युवक के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 363, 366, 384 , 376(2) (ल्ल) के साथ 384 के अलावा पॉक्सो एक्ट की धारा 5(छ)/6 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिसके बारे में युवक ने यह तर्क दिया कि युवती ने अपनी मर्जी से उसके साथ शादी की है। दोना बालिग हैं। युवक ने सबूत के तौर पर आर्य समाज मंदिर में हुई शादी का विवाह प्रमाण पत्र कोर्ट में पेश किया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने वैध मानने से इनकार कर दिया।
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