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India News (इंडिया न्यूज), Ek Yug: हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में समय को चार युगों या युगों में विभाजित किया गया है, जो एक विशाल समयावधि को मापने का तरीका प्रदान करते हैं। ये युग क्रमिक रूप से एक दूसरे के बाद आते हैं और प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ और समय अवधि होती है। आइए, इन युगों की विशेषताओं और उनके समयकाल को विस्तार से जानें।
सतयुग, जिसे “त्रेतायुग” या “धर्म युग” भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के अनुसार सबसे पहला युग था। इसकी अवधि 17 लाख 28,000 वर्ष थी। सतयुग एक ऐसा युग था जिसमें सत्य, धर्म और अच्छाई का सर्वोच्च स्थान था। इस युग में समाज में पूर्ण नैतिकता और धर्म का पालन होता था, और मानव जीवन की गुणवत्ता उच्चतम स्तर पर थी।
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सतयुग के समाप्त होने के बाद त्रेतायुग शुरू हुआ। त्रेतायुग की अवधि 12 लाख 96,000 वर्ष थी। इस युग में धर्म और सत्य में कुछ ह्रास शुरू हो गया था, लेकिन फिर भी समाज में उच्च नैतिक मानक कायम थे। त्रेतायुग में रामायण जैसे प्रमुख ग्रंथों की रचना हुई और रघुकुल के नायक श्रीराम का आगमन हुआ।
त्रेतायुग के बाद द्वापरयुग आया, जिसकी अवधि 8 लाख 64,000 वर्ष थी। द्वापरयुग में धर्म और अच्छाई की कमी और भी बढ़ गई, और मानवता के नैतिक मानक और भी गिर गए। महाभारत जैसे महाकाव्यों की रचना इस युग में हुई, और भगवान कृष्ण का अवतार हुआ। द्वापरयुग के अंत में कलयुग का आगमन हुआ।
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कलयुग, वर्तमान युग है, और इसकी अवधि 4 लाख 32,000 वर्ष बताई जाती है। इस युग की शुरुआत द्वापरयुग के समाप्त होने के साथ हुई। शास्त्रों के अनुसार, इस युग में समाज में धर्म और नैतिकता की कमी है, और असत्य और पाप का वर्चस्व बढ़ गया है। वर्तमान में, कलयुग की शुरुआत से साढ़े 5 हजार वर्ष बीत चुके हैं।
हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार, प्रत्येक युग की अवधि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। सतयुग से लेकर कलयुग तक, समय की माप प्रणाली में स्पष्ट रूप से घटाव देखने को मिलता है। यह दर्शाता है कि जैसे-जैसे समय बीतता है, मानवता के नैतिक और धार्मिक मानक में कमी आती जाती है।
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इन युगों की अवधियाँ और उनके क्रम का अध्ययन करने से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि समय के साथ मानवता और समाज में कैसे बदलाव आए हैं। सतयुग की लंबी अवधि और कलयुग की संक्षिप्त अवधि इस बात को दर्शाती है कि समय के साथ नैतिकता और धर्म में कमी आ रही है। यह अवधियाँ हमें न केवल ब्रह्मांड की विशालता का अहसास कराती हैं, बल्कि जीवन की नैतिकता और धर्म पर भी प्रकाश डालती हैं।
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