indian temple
Famous Temple In India: सदियों से भारत में महीलाओं को तरह-तरह की चीजें झेलनी पड़ती हैं. आज भी कहीं न कहीं महिलाओं की स्थति ऐसी ही है. भले ही देश का संविधान सभी को मंदिरों में समान प्रवेश की अनुमति देता है, लेकिन महिलाओं को भगवान के घर में प्रवेश करते समय कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कुछ मंदिरों में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, जबकि कुछ मंदिरों में श्राप का डर भी है. देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहाँ महिलाएं केवल बाहर से दर्शन कर सकती हैं, लेकिन गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकतीं. वहीं आज हम आपको ककई ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
दरअसल केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आते हैं. कहा जाता है कि सबसे पहले इसी स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी. यहां महिलाएं भगवान विष्णु की पूजा तो कर सकती हैं लेकिन मंदिर कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकतीं. वहीं बाहर से दर्शन करने के लिए भी महिलाओं को ड्रेस कोड का पालन करना जरूरी होता है. लेकिन पुरुषों के लिए भी यहां ड्रेस कोड पहनना अनिवार्य है.
वहीं गुना, मध्य प्रदेश स्थित जैन मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है. इस मंदिर में भी महिलाओं के प्रवेश पर भी रोक लगाई गई है, खासकर पश्चिमी परिधानों में. इसके अलावा, महिलाओं को श्रृंगार करने की भी अनुमति नहीं है. इस मंदिर का मूल नाम श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र है. इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान शांतिनाथ हैं. 1236 में निर्मित इस मंदिर में लाल पत्थर से बनी कई जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ स्थापित हैं.
राजस्थान के पुष्कर का सबसे जाना माना मंदिर ‘कार्तिकेय मंदिर’ में भी महिलाओं का प्रवेश सख्त मना है. कहा जाता है कि यहां भगवान कार्तिकेय के ब्रह्मचारी स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि जो भी महिलाएँ उनके ब्रह्मचर्य के कारण उनके दर्शन करने मंदिर जाती हैं, वो श्रापित हो जाती हैं. हालांकि अब इसे अजीबोगरीब परंपरा के तौर पर देखा जाता है. इसलिए, महिलाएँ स्वयं इस मंदिर में जाने से बचती हैं.
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में पहले महिलाओं का प्रवेश वर्जित था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. हालाँकि, आज भी महिलाएँ केवल बाबा की गुफा के बाहर बने चबूतरे से ही दर्शन कर सकती हैं. सदियों पुरानी इस परंपरा का पालन आज भी महिलाएँ करती हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने के फैसले के बावजूद, महिलाओं का प्रवेश अभी भी वर्जित है. 10 साल की लड़कियों से लेकर 50 साल की महिलाओं तक, मंदिर में प्रवेश वर्जित है. मंदिर के द्वार साल में केवल दो बार, 14 जनवरी और 15 नवंबर को खुलते हैं. हर साल, लाखों पुरुष भगवान के मंदिर तक पहुँचने के लिए नंगे पैर पहाड़ चढ़ते हैं. वे 41 दिनों का उपवास रखते हैं.
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