Nadiya Ke Paar film history
Nadiya Ke Paar: कुछ ऐसी फिल्में भी होती हैं जो सिर्फ उस वक्त की नहीं होती बल्कि सदाबहार हो जाती हैं. ‘शोले’, ‘मुगल-ए-आजम’, ‘मदर इंडिया’, ‘प्यासा’, ‘पाकीजा’, ‘गाइड’, ‘आनंद’, ‘कभी-कभी’ और ‘मेरा नाम जोकर’ जैसी फिल्में, जो वक्त से परे हैं. ‘प्यासा’, ‘शोले’, ‘गाइड’ और ‘आनंद’ जो समय से परे हैं. इन फिल्मों को हर दौर में देखा जाएगा और सराहा भी जाएगा. हिंदी ही नहीं स्थानीय भाषा-बोली की फिल्में भी हैं, जो क्लासिक-सदाबहार फिल्म्स का दर्जा हासिल कर चुकी हैं. ‘चंद्रावल’ (हरियाणवी) और ‘नदिया के पार’ (भोजपुरी) ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें हिंदी भाषी भी पसंद करते हैं. इसमें रोचक बात यह है कि हरियाणवी और भोजपुरी दोनों ही बोलियां हैं ना कि भाषा. बावजूद इसके दोनों ही फिल्में आज भी देखी और पसंद की जाती हैं. इस स्टोरी में हम बात करेंगे 1 जनवरी, 1982 को रिलीज हुई ‘नदिया के पार’ की.
धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, संजीव कपूर, हेमा मालिनी और अमजद खान स्टारर फिल्म ‘शोले’ भारत की सबसे कामयाब फिल्म मानी जाता है. क्रिटिक्स के मुताबिक, सिर्फ 3 करोड़ के बजट में बनाई गई ‘शोले’ फिल्म ने 15 करोड़ रुपये की कमाई की थी. 15 अगस्त, 1975 को रिलीज हुई यह फिल्म 19 सालों तक ‘शोले’ के आगे बॉक्स ऑफिस पर कोई भी इंडियन फिल्म टिक नहीं पाई. इस दौरान बहुत सी फिल्में आईं, लेकिन ‘शोले’ का रुतबा बरकरार रहा और अब भी है. इसी तरह ‘शोले’ के सिर्फ 5 साल बाद रिलीज हुई भोजपुरी बोली की फिल्म ‘नदिया के पार’ ने कमाल कर दिया. 1 जनवरी,1982 में रिलीज हुई ‘नदिया के पार’ इस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई. इस फिल्म के गाने, डायलॉग, कहानी और कलाकारों के अभिनय ने ‘नदिया के पार’ को कल्ट फिल्म बना दिया. क्रिटिक्स का भी कहना है कि भोजपुरी की यह फिल्म ‘शोले’ की तरह है, जो कल्ट फिल्म के दायरे में आती है.
राजश्री प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित फिल्म ‘नदिया के पार’ 1 जनवरी, 1982 को रिलीज हुई. यह फिल्म सुपरहिट हुई. गोविंद मूनिस द्वारा निर्देशित फिल्म सिर्फ 18 लाख रुपये के बजट में बनी थी. यह सिर्फ यूपी और बिहार में ही नहीं बल्कि हिंदी बेल्ट में भी खूब देखी और पसंद की गई. 18 लाख रुपये में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 5 करोड़ 40 लाख रुपये की शानदार कमाई की थी. ‘शोले’ फिल्म 3 करोड़ में बनी थी और 15 करोड़ यानी 5 गुना कमाई की. वहीं, भोजपुरी फिल्म ‘नदिया के पार’ ने 30 गुना ज़्यादा कमाए. कुल मिलाकर यह फिल्म वर्ष 1982 की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बनी.
राजश्री प्रोडक्शंस ने इस फिल्म में ‘शोले’ में चाइल्ड आर्टिस्ट सचिन पिलगांवकर को बतौर लीड रोल के लिए चुना. जिन्होंने चंदन का रोल निभाया. वहीं, एक्ट्रेस साधना सिंह ने गुंजा का रोल किया. इस कल्ट क्लासिक फिल्म में इंद्राणी मुखर्जी और मानेक ईरानी ने भी बहुत ही उम्दा काम किया. प्यार, परिवार, संस्कार और ग्रामीण संस्कृति से भरपूर यह लोगों के दिलों में बस गई. गांव, खेत और रिश्ते, इस फिल्म की जान थे. यह फिल्म उन लोगों को खासतौर से अधिक पसंद आई, जो गांव की मिट्टी से अलग हुए और शहर में जाकर बस गए. फिल्म की सादगी इसकी बड़ी खूबी रही. गांव की कहानी और चंदन-गुंजा की लव स्टोरी- इस फिल्म को नए मुकाम पर ले गई.
फिल्म ‘नदिया के पार’ की शूटिंग उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक गांव में हुई थी. इस फिल्म की शूटिंग डेढ़ से दो महीने तक चली और इसका ज्यादातर हिस्सा सई और गोमती नदियों के संगम पर फिल्माया गया. ‘नदिया के पार’ सिर्फ 18 लाख रुपये में बनी थी और 30 गुना कमाई करके इसने मेकर्स को झोली भर गई. इससे पहले राजश्री प्रोडक्शन की कई फिल्में फ्लॉप हो चुकी थी, इसलिए ‘नदिया के पार’ की सफलता ने राजश्री प्रोडक्शन को नई जिंदगी दी.
फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ वर्ष 1994 में रिलीज हुई थी. इसमें सलमान खान के साथ माधुरी दीक्षित की जोड़ी नजर आई थी. सूरज बड़जात्या की यह फिल्म ‘नदिया के पार’ का शहर थी. जहां ‘नदिया के पार’ में ग्रामीण संस्कृति थी तो ‘हम आपके हैं कौन’ में शहर आया. शहर की सभ्य संस्कृति, लेकिन बेहद शालीन अंदाज में. इस फिल्म की कहानी ‘नदिया के पार’ ही थी. क्रिटिक्स मानते हैं कि ‘हम आपके हैं कौन’ फिल्म को भारतीय फिल्म उद्योग के साथ-साथ पॉप संस्कृति की भी सबसे प्रभावशाली फिल्मों में से एक है. इसने भारत में शादी समारोहों पर गहरा प्रभाव डाला, जिनमें अक्सर फिल्म के गाने और खेल शामिल होते हैं. आज भी भारतीय शादियों में ‘हम आपके हैं कौन’ की सीन्स का प्रभाव देखने को मिलता है.
कहा जाता है कि फिल्म ‘नदिया के पार’ पहले ही हिंदी भाषी दर्शकों के दिलों में बस गई थी. यही वजह है कि राजश्री प्रोडक्शन ने इसी कहानी पर ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाई. सलमान खान और सलमान खान के शालीन अभिनय और संगीत ने कमाल किया. ‘हम आपके हैं कौन’ (Hum Aapke Hain Koun) राजश्री प्रोडक्शंस (Rajshri Productions) की 1994 की एक बेहद लोकप्रिय हिंदी फिल्म है, जिसे सूरज बड़जात्या (Sooraj Barjatya) ने निर्देशित किया. ‘नदिया के पार’ फिल्म भी राजश्री प्रोडक्शन की थी.
ऐसा कहा जाता है कि ‘नदिया के पार’ की कहानी केशव प्रसाद मिश्रा के नॉवेल ‘कोहबर की शर्त’ पर आधारित थी. फिल्म का संगीत रवींद्र जैन ने दिया था. ‘कौन दिशा में लेके चला रे बटोहिया’ गाने को भोजपुरी लोक संगीत को ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. इसके अलावा ‘जोगी जी धीरे-धीरे…’ सॉन्ग लोकप्रिय हुआ. बताया जाता है कि राजश्री बैनर तले बनी ‘नदिया के पार’ की सफलता में इस होली गीत का बड़ा हाथ है. ऐसा कहा जाता है की जब फिल्म की शूटिंग समाप्त हुई तो फिल्म की टीम गांव छोड़ कर जा रही थी. इस दौरान पूरा गांव फूट-फूट कर रोया.एक रोचक बात यह भी है कि राजश्री प्रोडक्शंस के मालिक ताराचंद बड़जात्या ने शूटिंग के लिए गांव के लोगों को उस दौर में 8 लाख रुपये भी देने की पेशकश की थी, लेकिन ग्रामीणों ने ये पैसे लेने से इन्कार कर दिया था.
बिहार स्टेट फिल्म डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉर्पोरेशन के एक विशेष कार्यक्रम के तहत ‘नदिया के पार’ की दोबारा रिलीज हो रही है. मिली जानकारी के अनुसार, इस साप्ताहिक प्रोग्राम का नाम ‘कॉफी विद फिल्म’ रखा गया है. ‘हाउस ऑफ वैराइटी’ और ‘रीजेंट सिनेमा कैम्पस’ के अलावा पटना में कई जगहों पर ‘नदिया के पार’ फिल्म की स्क्रीनिंग की जाएगी. बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में भी यह फिल्म दिखाई जाएगी. बिहार सरकार का मुख्य उद्देश्य इस कार्यक्रम के जरिए युवाओं को बिहार और उत्तर भारत की मिट्टी और संस्कृति से जोड़ना है. इस फिल्म में गांव की संस्कृति, शादी समारोह और अन्य आयोजन का संगम है.
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