Hindi News / Health / Pittapappa Plant This Green Pittapapda Plant Is Not A Wild Grass But The Sanjeevani Of Kalyug From Fever To Stomach Worms It Will Eliminate 100 Diseases In Just 21 Days

जंगली घास नहीं कलयुग की संजीवनी है ये हरा पौधा, बुखार से लेकर पेट के कीड़ों तक… 100 बिमारियों का बस 21 दिन में कर देगा खात्मा

Pittapappa Plant: कई बार हम जिन पौधों को बेकार समझकर अनदेखा कर देते हैं, असल में वे सेहत के लिए अमूल्य होते हैं। ऐसा ही एक पौधा है पित्तपापड़ा, जिसे आम तौर पर गेहूं के खेतों में उगने वाली एक साधारण घास माना जाता है।

BY: Yogita Tyagi • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),  Pittapappa Plant: कई बार हम जिन पौधों को बेकार समझकर अनदेखा कर देते हैं, असल में वे सेहत के लिए अमूल्य होते हैं। ऐसा ही एक पौधा है पित्तपापड़ा, जिसे आम तौर पर गेहूं के खेतों में उगने वाली एक साधारण घास माना जाता है। लेकिन आयुर्वेद में इस पौधे को कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी माना जाता है। यह न सिर्फ बुखार, पेट के कीड़े, जलन और घाव के लिए फायदेमंद है, बल्कि सांसों की बदबू और आंखों की बीमारियों में भी फायदा पहुंचाता है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में पित्तपप्पा का महत्व

चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में पित्तपापड़ा का उल्लेख मिलता है। यह पौधा शरीर में पित्त, वात और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। इसका स्वाद थोड़ा कड़वा और तीखा होता है, लेकिन इसमें शरीर को ठंडक पहुंचाने वाले गुण होते हैं। यह राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और दिल्ली जैसे राज्यों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और इसकी औषधीय क्षमता के कारण इसे “कई जड़ी-बूटियों का जनक” भी कहा जाता है।

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Pittapappa Plant

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बुखार और जलन में मिलेगी राहत

पित्तपापड़ा का सबसे कारगर उपयोग बुखार को कम करने में होता है। इसे काढ़े के रूप में सोंठ के साथ मिलाकर पीने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और बुखार जल्दी उतर जाता है। यह शरीर में जलन को भी कम करता है। त्वचा पर जलन होने पर इसके पत्तों का रस लगाने से तुरंत आराम मिलता है। पेट के कीड़ों और पाचन तंत्र के लिए रामबाण उपाय पेट में कीड़े होने पर विडंग (एक आयुर्वेदिक औषधि) के साथ पित्तपापड़ा का सेवन करना फायदेमंद होता है। यह न सिर्फ पेट के कीड़ों को खत्म करता है बल्कि पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है और भूख बढ़ाता है। इसके अलावा अगर किसी को उल्टी की समस्या हो रही है तो इसके रस में शहद मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

सांसों की बदबू करेगा दूर

सांसों की बदबू होने पर पित्तपप्पा के काढ़े से गरारे करने से यह समस्या दूर हो जाती है। यह मुंह की सफाई करने और दांतों के रोगों से भी बचाता है। आंखों की जलन और सूजन को कम करने के लिए भी यह पौधा उपयोगी है। इसका रस आंखों की बाहरी सतह पर लगाने से लालिमा, जलन और खुजली से राहत मिलती है। हालांकि, इसे आंखों में डालने से बचना चाहिए।

विज्ञान भी हुआ मुरीद

पित्तपापड़ा की प्रभावशीलता को न केवल आयुर्वेदिक ग्रंथों में बल्कि आधुनिक वैज्ञानिक शोधों में भी मान्यता दी जा रही है। यह पौधा प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह काम करता है और शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है। पित्तपापड़ा एक औषधीय पौधा है जिसे ज्यादातर लोग साधारण घास समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन असल में यह एक प्राकृतिक औषधीय खजाना है। यह न केवल बुखार, पेट के कीड़ों और पाचन संबंधी समस्याओं में फायदेमंद है, बल्कि मुंह, त्वचा और आंखों की समस्याओं के लिए भी कारगर है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है और अब वैज्ञानिक शोध भी इसके गुणों की पुष्टि कर रहे हैं। अगली बार जब आप गेहूं के खेतों में जाएं, तो इस छोटे लेकिन कीमती औषधीय पौधे को पहचानने की कोशिश करें।

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