इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Air Pollution Effect देश की राजधानी दिल्ली और NCR में वायु प्रदूषण लगातार गंभीर श्रेणी में बना हुआ है और दिल्ली सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी इस समस्या पर काबू पाने के लिए कड़े फैसले लेने पर मजबूर हो गई है।
New Delhi, Nov 17 (ANI): Vehicles ride in the dense smog as the air quality decreases in New Delhi on Wednesday. (ANI Photo)
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने राजधानी में जरूरी वाहनों को छोड़कर ट्रक व 10 साल पुरानी गाड़ियों की एंट्री बैन कर दी है। इसी के साथ दिल्ली-एनसीआर के सभी सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे। इसके अलावा दिल्ली में कंस्ट्रक्शन के काम भी 21 नवम्बर तक बंद कर दिए गए हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने उक्त जानकारी दी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, हमने आवश्यक सेवाओं में शामिल वाहनों को छोड़कर दिल्ली में सभी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के भी निर्देश दिए हैं। इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के लिए बुधवार से 1,000 निजी CNG बसों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू होगी।
मेट्रो और डीटीसी की तरफ से DDMA को यात्रियों को खड़े होकर यात्रा करने की अनुमति के संबंध में पत्र लिखा गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) भी अलर्ट हो गया है। उसने दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों के लिए निर्देश जारी कर इन निर्देशों को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
भारत ही नहीं, इसके अलावा भी कई देशों में वायु प्रदूषण की समस्या मुसीबत बन चुकी है। एक स्टडी की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण से प्रभावित पांच सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में नई दिल्ली भी शामिल है। मैक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी, ब्राजील के शहर साओ पाउलो, चीन के शहर शंघाई और जापान की राजधानी टोक्यो में लगभग 1,60,000 लोगों की मृत्यु के लिए पीएम 2.5 को जिम्मेदार बताया गया है।
वैश्विक स्तर पर किए गए अध्ययन के मुताबिक 14 शहरों में पीएम 25 वायु प्रदूषण की अनुमानित आर्थिक क्षति पांच बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक थी। वायु प्रदूषण के कारण सबसे अधिक अनुमानित वित्तीय क्षति टोक्यो में दर्ज की गई। टोक्यो में वर्ष 2020 में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के कारण करीब 40 हजार असामयिक मौतें और 43 बिलियन अमेरिकी डालर का आर्थिक नुकसान हुआ था।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर केंद्र व दिल्ली सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट की भी खरी-खरी सुननी पड़ रही है। मामले पर बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जजों ने माना है कि इस मामले में ब्यूरोक्रेट्स कुछ नहीं करना चाहते हैं। दिल्ली के 5-7 स्टार होटलों में बैठकर किसानों पर टिप्पणी करना बहुत आसान है।
उन्होंने कहा कि हर जगह टीवी पर प्रदूषण को लेकर डिबेट हो रही है। किसी भी स्रोत से ज्यादा प्रदूषण टीवी डिबेट फैलाते हैं, लेकिन कोई यह नहीं समझना चाहता कि किसानों को पराली क्यों जलानी पड़ती है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, सरकार अगर पराली जलाने को लेकर किसानों से बात करना चाहती है तो बेशक करे लेकिन हम किसानों पर कोई जुर्माना नहीं लगाना चाहते।
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