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एक तरफ कोयले की कमी तो दूसरी तरफ बढ़ रही बिजली की मांग, जानें क्या है चुनौती?

Naresh Kumar • LAST UPDATED : April 27, 2022, 10:05 pm IST
  • जून तक और बढ़ सकती है मांग
  • कोल इंडिया ने भी संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति बढ़ाई
  • बिजली संयंत्रों को रोजाना 22 लाख टन कोयला चाहिए

बढ़ रही गर्मी के साथ-साथ अब देश में बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है। यही नहीं अभी मई और जून में यह मांग और अधिक बढ़ सकती है। वहीं दूसरी ओर बिजली संयंत्रों के लिए कोयले की कमी बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली। सरकार का कहना है कि मई और जून के महीने तक बिजली की मौजूदा मांग में 10 प्रतिशत तक बढोतरी हो सकती है। मंगलवार को देश में बिजली की मांग 2.01 लाख मेगावाट थी। यह पिछले वर्ष नौ जुलाई को दर्ज 2.00539 लाख मेगावाट से ज्यादा रही है। मार्च, 2022 में बिजली की मांग 8.9 फीसद ज्यादा रही है। वहीं देश के ताप बिजली घरों में कोयले की कमी को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।

विभागों के साथ मिलकर किया जा सकता है समाधान

ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि बिजली की मांग मई-जून में बढ़कर 2.15 लाख मेगावाट से 2.20 लाख मेगावाट के बीच हो सकती है। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार के विभागों के बीच सामंजस्य स्थापित किया गया है ताकि कोयला आपूर्ति से जुड़ी अड़चनों को दूर किया जा सके।

कंपनी कोल इंडिया ने बढ़ाई कोयले की आपूर्ति

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि बिजली की बढ़ी हुई मांग को देखते हुए उनकी कंपनी ने कोयले की आपूर्ति बढ़ा दी है। 1-15 अप्रैल तक बिजली संयंत्र को रोजाना 14 लाख टन कोयला की आपूर्ति की गई है जिसे बाद में बढ़ाकर 16 लाख टन प्रति दिन और पिछले तीन दिनों से 17 लाख टन कोयला कर दिया गया है।

बिजली संयंत्रों को रोजाना 22 लाख टन कोयला चाहिए

मौजूदा स्तर पर बिजली उत्पादन के लिए बिजली संयंत्रों को रोजाना 22 लाख टन कोयला चाहिए। बिजली की मांग जनवरी, 2022 के बाद 11 प्रतिशत बढ़ गई है। देश में बिजली की ऐसी मांग पिछले 40 वर्षों में नहीं देखी गई है।

खदानों से प्लांट तक कोयला पहुंचाना बड़ी चुनौती

बता दें कि समस्या कोयले की उपलब्धता नहीं है बल्कि कोयला खदानों से उसे प्लांट तक पहुंचाने के लिए आवश्यक सुविधा का अभाव है। जानकारों का कहना है कि रेल मंत्रालय की तरफ से पर्याप्त रैक नहीं मिल रही हैं।

आवश्यकता को देखते हुए रोजाना 425 रैक की जरूरत है, लेकिन 370 रैक ही उपलब्ध हो रही हैं। यही वजह रही कि कोल इंडिया ने 1.70 करोड़ टन कोयला संयंत्रों को उपलब्ध कराया था लेकिन सिर्फ 40 प्रतिशत की ढुलाई ही हो पाई।

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