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India News (इंडिया न्यूज), Indian Railways: वंदे भारत एक्सप्रेस इन दिनों यात्रियों की पहली पसंद बनी हुई है। यही कारण है कि भारतीय रेलवे लगातार वंदे भारत एक्सप्रेस की संख्या बढ़ा रहा है। रेलवे जल्द ही वंदे भारत ट्रेनों में मिलने वाली सुविधाएं अन्य ट्रेनों में भी देने जा रहा है।वित्त मंत्री ने बजट में इसका ऐलान किया है। अब यात्रियों के मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि अगर ट्रेनों में वंदे भारत सुविधाओं वाले कोच लगाए जाएंगे तो क्या स्लीपर कोच हटा दिए जाएंगे? या फिर सुविधाओं के बदले ट्रेनों में किराया बढ़ेगा या नहीं। इन सभी सवालों का रेल मंत्री ने विस्तार से जवाब दिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, इस समय देशभर में चलने वाली ट्रेनों में करीब 40 हजार डिब्बे ऐसे हैं, जो अपनी उपयोगी अवधि पूरी कर चुके हैं या इसे पूरा करने वाले हैं। ऐसे कोचों को धीरे-धीरे हटा दिया जाएगा। इन सभी कोचों को हटाकर उनकी जगह वंदे भारत एक्सप्रेस की सुविधाओं वाले कोच लगाए जाएंगे।
रेल मंत्री ने कहा कि वर्तमान में भारतीय रेलवे के पास वंदे भारत और अमृत भारत दोनों तकनीक हैं। इसलिए पुराने एसी कोच और स्लीपर कोच बदले जाएंगे। इसमें करीब चार से पांच साल लगेंगे। ये कोच मौजूदा कोचों की तुलना में अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक होंगे। ये सभी कोच जीपीएस और कैमरे से लैस होंगे। इसके अलावा सीटें, बर्थ, अनाउंसमेंट सिस्टम, शौचालय आदि सामान्य से बेहतर होंगे। डिब्बों में पानी खत्म होने से पहले संबंधित विभाग को पता चल जाएगा कि पानी खत्म होने वाला है और पानी दोबारा भर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, एक मोबाइल चार्जिंग पॉइंट और पानी की बोतल लटकाने के लिए एक हैंडल भी होगा। इन कोचों के लगने से ट्रेनों के किराए में कोई बदलाव नहीं होगा। फिलहाल किराया बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। रेल मंत्री ने कहा कि अंतरिम बजट में अगले वित्त वर्ष के लिए रेलवे को कुल 2.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। फिलहाल देश में हर साल करीब 700 करोड़ लोग ट्रेनों से यात्रा करते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर को इस तरह से और विस्तारित करने की तैयारी है कि हर साल करीब एक हजार करोड़ लोग यात्रा कर सकें। अगले वित्तीय वर्ष में हर सप्ताह कम से कम एक वंदे भारत चलाने का लक्ष्य है।
रेल मंत्री ने कहा कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कवच (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) सिस्टम का विस्तार किया जाएगा। दूसरे देशों में ट्रेनों में इसका इस्तेमाल 1991 से हो रहा है, लेकिन भारत में इसे पहली बार 2016 में मंजूरी मिली थी। पावर सेक्टर में 269 शील्ड और ऑप्टिकल सेक्टर में 3,400 शील्ड लगाई गई हैं। रेल यात्रा के दौरान प्रदूषण उत्सर्जन 90 प्रतिशत तक कम हो जाता है। वर्ष 2047 तक विकसित भारत की तस्वीर के लिए रेल यात्रा की क्षमता बढ़ाना जरूरी है। रेल मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि साल 2030-31 तक रेलवे में वेटिंग की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी. इसके लिए ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है. वेटिंग की समस्या दूर करने के लिए नई ट्रेनें चलाई जाएंगी। नई पटरियां बिछाई जाएंगी। ट्रेनों को रद्द होने से भी बचाना होगा। ट्रैक की क्षमता बढ़ने पर यह समस्या दूर हो जायेगी। वंदे भारत और अमृत भारत से सीखकर रेलवे को अपग्रेड किया जाएगा।
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