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नहीं रहे भारतीय विज्ञापन जगत के मास्टरमाइंड Piyush Pandey, दिया था मोदी सरकार के लिए यह यादगार नारा

Piyush Pandey Death: भारतीय विज्ञापन उद्योग के चमकते सितारे पीयूष पांडे का गुरुवार को 70 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके जाने से न केवल विज्ञापन जगत बल्कि कला और संस्कृति की दुनिया में भी एक बड़ी कमी महसूस की जा रही है. पीयूष पांडे 2023 से विज्ञापन की सक्रिय दुनिया से दूर थे, लेकिन उनकी बनाई हुई रचनाएं और उनकी कलात्मक दृष्टि आज भी भारतीय ब्रांडिंग और मार्केटिंग के मानक स्थापित करती हैं.

कैसा था पीयूष पांडे का निजी जीवन?

पीयूष पांडे का जन्म 1955 में जयपुर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ. वह नौ भाई-बहन थे, जिनमें सात बहनें और दो भाई शामिल थे.  उनके परिवार में कला और संस्कृति की झलक साफ़ दिखाई देती थी उनकी बहन ईला अरुण एक जानी-मानी सिंगर और अभिनेत्री हैं, जबकि उनके भाई प्रसून पांडे फ़िल्म और डायरेक्शन की दुनिया में अपनी पहचान रखते हैं. पिता बैंक में नौकरी करते थे, और परिवार ने पीयूष को हमेशा पढ़ाई और खेलों के प्रति प्रोत्साहित किया. युवावस्था में ही उन्होंने क्रिकेट खेला और खेल की अनुशासन भावना ने बाद में उनके पेशेवर जीवन में भी मार्गदर्शन किया.

कब की थी विज्ञापन में करियर की शुरूआत?

विज्ञापन जगत में उनका सफ़र 1982 में शुरू हुआ, जब उन्होंने ओगिल्वी इंडिया जॉइन की. शुरू में उन्होंने क्रिकेटर, चाय चखने वाले और निर्माण मजदूर जैसे छोटे कार्य किए, लेकिन अपने कठिन परिश्रम और प्रतिभा से उन्होंने 27 साल की उम्र में विज्ञापन की दुनिया में अपनी जगह बनाई. उस समय अंग्रेज़ी-प्रभुत्व वाली इंडस्ट्री में प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन पीयूष ने अपनी अनूठी दृष्टि और रचनात्मकता से इसे हमेशा के लिए बदल दिया.

मोदी सरकार के लिए दिया ऐतिहाासिक नारा

उनकी रचनाएं भारतीय विज्ञापन जगत में अमर हो गईं. एशियन पेंट्स के लिए “हर खुशी में रंग लाए”, कैडबरी के लिए “कुछ खास है” और फेविकोल, हच जैसे ब्रांडों के विज्ञापन उनके अद्वितीय दृष्टिकोण का प्रतीक हैं.  इसके अलावा, उन्होंने भारतीय राजनीति और जन आंदोलन में भी अपनी छाप छोड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रसिद्ध नारा “अब की बार, मोदी सरकार” भी उनकी रचना है.

पीयूष पांडे को उनके साथी और दोस्त सुहेल सेठ ने सोशल मीडिया पर याद किया. उन्होंने लिखा कि पीयूष न केवल विज्ञापन जगत के प्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और बेहतरीन इंसान भी थे. सुहेल ने कहा कि अब जन्नत में भी गूंजेगा ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा. चार दशक से अधिक समय तक ओगिल्वी इंडिया में काम करते हुए, पीयूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन की दिशा ही बदल दी. 

 

shristi S

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