Rajnath Singh Statement
Rajnath Singh News: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि बॉर्डर कभी भी बदल सकता है और भारत में वापस आ सकता है. वे रविवार को सिंधी समुदाय के एक इवेंट में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि “भारत के बंटवारे की वजह से सिंधु नदी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया है. पूरा सिंधु प्रांत अब पाकिस्तान में है. लेकिन इसका मतलब यह नही है कि सिंध, सिंधु और सिंधी समुदाय की अहमियत हमारे लिए कम हो गई है. वे आज भी हमारे लिए उतने ही अहम है जितने हज़ारों सालों से रहे हैं.”
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि “इसीलिए 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने हमारे राष्ट्रगान से सिंध शब्द हटाने की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सिंध शब्द को सिर्फ़ एक ज्योग्राफिकल जगह के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. यह भारत और सिंधी समुदाय की कल्चरल पहचान में गहराई से जुड़ा हुआ है.” रक्षा मंत्री ने सिंधी समुदाय को भारत की सांस्कृतिक पहचान और आत्म-सम्मान का प्रतीक बताते हुए कहा “आज जब हम सिंधी समुदाय की बात करते है, तो हम सिर्फ़ एक समुदाय की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि एक ऐसी विरासत की बात कर रहे है जो सनातन का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसकी जड़ें भगवान राम में है. इसने हमारी संस्कृति और सभ्यता को बेहतर बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है.”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी की बातों को याद करते हुए कहा, जिसमें उन्होंने बंटवारे के बावजूद भारत के साथ सिंध के सभ्यतागत रिश्तों के बारे में कहा था कि “सीमाएं बदल सकती है और सिंध फिर से भारत में शामिल हो सकता है.” नई दिल्ली में सिंधी समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा, “आडवाणी जी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि सिंधी हिंदू, खासकर उनकी पीढ़ी के लोग अभी भी सिंध के भारत से अलग होने को स्वीकार नहीं कर पाए है.”
1947 में उस समय के भारत के बंटवारे के कारण पाकिस्तान बना था, और सिंधु नदी के पास का सिंध इलाका तब से पाकिस्तान का हिस्सा है. उन्होंने कहा, “सिर्फ सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू, सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं। सिंध में कई मुसलमान भी मानते थे कि सिंधु नदी का पानी मक्का के जमजम (पवित्र पानी) से कम पवित्र नहीं है.”
सिंह ने कहा, “यह आडवाणी जी का बयान है. आज सिंध की जमीन भारत का हिस्सा भले ही न हो लेकिन सभ्यता के नजरिए से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा. जहां तक जमीन की बात है, बॉर्डर बदल सकते है. कौन जानता है कल सिंध भारत में वापस आ जाए. सिंध के हमारे लोग जो सिंधु नदी को पवित्र मानते है हमेशा हमारे अपने रहेंगे. वे कहीं भी रहें, वे हमेशा हमारे ही रहेंगे.”
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