Earthquake
Earthquake: जब बात सबसे अधिक भूकंप की आती है तब अक़्सर उनमें जापान का नाम सबसे पहले स्थान पर आता है. जापान इससे बचने के लिए अनेक प्रकार कि तकनीक का इस्तेमाल करता है. आइये आपको इसके बारे बताते है अपना बचाव जैसे डैम्पर सिस्टम (Damper System) यह सिस्टम झटकों की ऊर्जा को सोख लेते हैं. जिससे इमारत हिलने से बचती है और गिरने से बच जाते हैं. बेस आइसोलेशन तकनीक (Base Isolation) इमारत के नीचे रबर स्प्रिंग या स्लाइडिंग प्लेट्स लगाई जाती हैं. जल्द चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) जापान में भूकंप आने से कुछ सेकंड पहले ही लोगों को सतर्क (Alert) कर दिया जाता है. ऐसी और भी अन्य प्रकार कि तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है.
तो आईये हम एक नज़र आपसे देश यानि भारत कि तरफ भी देखते हैं. भारत के इतिहास में बहुत से भूकंप आये हैं और इसमें भारी मात्रा में जनहानि के साथ साथ और भी अलग अलग प्रकार के नुकसान हुए हैं.15 जनवरी 1934 को बिहार में 8.1 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया था. इस भूकंप को भारतीय इतिहास के सबसे भयानक भूकंपों में से एक माना जाता है. इस भूकंप के बाद मुंगेर और जमालपुर शहर पूरी तरह से मलबे की ढेर में तब्दील हो गया था.बतया जाता है कि 30,000 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवा दी थी.
15 अगस्त 1950 को असम भूकंप आय था जिसकी तीव्रता 8.6 थी अकेले असम 1500 से अधिक लोग मारे गए थे. इसे 20वीं शताब्दी के दस सबसे बड़े भूकंप में से एक माना जाता था. 20 अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी में भूकंप आया था जो कि उत्तराखंड में स्थित है यह भूकंप 6.1 की तीब्रता आया था. जिसने अनेको इमारतों को ध्वस्त कर दिया और एक झटके में हजारों से भी अधिक लोग मिट्टी में मिल गए.
हमें ये सोचना है की हम इन भूकंप से बचने के लिए क्या क्या कर सकते है. हमे भी जापान की ही तरह अलग अलग प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए. सबसे पहले हमें रेटरोफिटिंग (Retrofitting) पर ध्यान देना चाहिए. यह मौजूदा पुरानी इमारत को गिराए बिना उनकी भूकंप रोधी क्षमता को बढ़ाने की एक तकनीक है जो की दीवारें बीम और कॉलम को मजबूत किया जाता है. जैसे कि स्टील के बार (सरिया) या जैकेटिंग (Jacketing) का उपयोग कर सकते है.
ये भूकंप की ऊर्जा को गर्मी में बदलकर झटकों की तीव्रता (intensity) को कम करते हैं. जिससे इमारत पर पड़ने वाला तनाव घट जाता है. निर्माण से पहले मिट्टी की सहन शक्ति (bearing capacity) की जांच करना चाहिए. अन्य उपाय को किया जा सकता है और भीं ऐसी अनेको तकनीक है जिससे भूकंप से सुरक्षित रहा जा सकता है.
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