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आखिरकार Diwali पर क्यों करते है लोग उल्लू की तस्करी? वजह जान हो जाएंगे दंग

Owl Smuggling Case increased on Diwali: दिवाली का पर्व भारत में खुशियों, रोशनी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. दीपों की जगमगाहट से सजे घर, मिठाइयों की मिठास और माता लक्ष्मी की आराधना यह सब इस त्योहार को विशेष बनाते हैं. लेकिन इसी रोशनी के बीच एक ऐसा अंधेरा सच भी छिपा होता है, जिसे अक्सर नज़रअंदाज कर दिया जाता है  दिवाली के दौरान उल्लुओं की अवैध तस्करी और बलि का बढ़ता प्रचलन.

क्यों होती है उल्लू की खरीद फरौत?

भारत में उल्लू को माता लक्ष्मी का वाहन माना जाता है और इसी मान्यता के कारण कई लोग इसे ‘धन और भाग्य’ से जोड़ते हैं. अंधविश्वास के चलते यह मान लिया गया है कि दिवाली की रात उल्लू की बलि देने या उसके अंगों का प्रयोग करने से धन की प्राप्ति होती है. यही सोच इन मासूम पक्षियों के लिए जानलेवा साबित होती है.

धर्म में कहीं भी उल्लू की बलि का उल्लेख नहीं

वेद, पुराण और किसी भी धार्मिक शास्त्र में उल्लू की बलि या उसकी हत्या का कोई आधार नहीं है. बल्लभगढ़ के महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य स्पष्ट रूप से कहते हैं कि उल्लू की बलि देना किसी शास्त्र या धर्म का हिस्सा नहीं है. यह पूरी तरह से मनगढ़ंत और अंधविश्वास पर आधारित प्रथा है। धर्म में किसी भी जीव की हत्या करना निषिद्ध माना गया है.

तांत्रिक अनुष्ठानों का बढ़ता जाल

कुछ तांत्रिक उल्लू के मांस, नाखून, पंख और आंखों का प्रयोग अपने अनुष्ठानों में करते हैं. कई बार दुकानों और दफ्तरों में इन्हें चिपकाकर लोग आर्थिक उन्नति की उम्मीद करते हैं. यह न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि जीवों के प्रति अमानवीयता की पराकाष्ठा भी है.

उल्लू को जीने का भी है अधिकार

उल्लू न केवल पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि कीटों और चूहों की संख्या को नियंत्रित करके कृषि में मदद करता है. इनकी घटती संख्या पर्यावरण के संतुलन के लिए भी बड़ा खतरा बन सकती है. प्रत्येक जीव को जीने का अधिकार है और किसी भी धार्मिक आस्था के नाम पर उसे मारना नैतिक और कानूनी दोनों दृष्टि से गलत है.

दिवाली पर असली समृद्धि दीपक जलाने या बलि देने से नहीं, बल्कि अच्छे कर्म और सकारात्मक सोच से आती है. माता लक्ष्मी की पूजा करते समय किसी जीव को हानि पहुँचाना स्वयं धार्मिक मूल्यों का अपमान है. भारत में उल्लू की कई प्रजातियां वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित हैं. इनका शिकार, तस्करी या बलि देना कानूनी अपराध है और इसके लिए कठोर सजा और जुर्माना तय है.

shristi S

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