संबंधित खबरें
सीएम मोहन यादव का श्रमिक परिवारों को बड़ा तोफा, जाने क्या है पूरी योजना
बाबा महाकाल का श्री गणेश के स्वरूप में मनमोहक श्रृंगार, श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अनुभव
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ इंदौर वासियों का सुबह 9 बजे से विरोध रैली प्रदर्शन
MP Weather Update: ठंड और बारिश का डबल अटैक, मौसम का मिजाज बदला
'रघुपति राघव राजाराम, देश बचा गए…', गांधीजी को लेकर कालीचरण महाराज ने की आपत्तिजनक टिप्पणी ; गोडसे को बताया 'महात्मा'
बैलगाड़ी में निकली दुल्हन की बारात, परंपरा को बचाने के लिए लड़की ने की अनोखी पहल
India News (इंडिया न्यूज), Bhopal Gas Tragedy: मध्य प्रदेश के भोपाल में 2 दिसंबर, 1984 की रात को हुई गैस रिसाव दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक आपदाओं में से एक है। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के कीटनाशक संयंत्र से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) का रिसाव हुआ, जिसने भोपाल को एक जानलेवा कोहरे में ढक दिया। इस त्रासदी में सरकारी आंकड़ों के अनुसार कुछ ही दिनों में लगभग 3,500 लोग मारे गए, जबकि कार्यकर्ताओं का मानना है कि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक है। इसके अलावा, लगभग पांच लाख लोग इस जहरीली गैस के प्रभाव से प्रभावित हुए।
इस आपदा ने हजारों परिवारों की जिंदगी छीन ली। पीड़ितों को श्वसन तंत्र, आंखों और अन्य गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की थी। समय के साथ, गैस के असर ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया, जिससे जन्मजात विकलांगता और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हुईं।
भोपाल गैस त्रासदी के बाद भी यूनियन कार्बाइड के परिसर में सैकड़ों टन जहरीला कचरा पड़ा हुआ है। 2010 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, इस कचरे में 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा, 11 लाख टन दूषित मिट्टी, एक टन पारा और 150 टन भूमिगत डंप शामिल है। यह कचरा न केवल आसपास के पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि स्थानीय जल स्रोतों को भी जहरीला बना रहा है।
पुलिस प्रशासन में हुआ बड़ा फेर बदल, 7 आईपीएस अधिकारियों का तबादला
जहरीले कचरे के निपटान के लिए केंद्र सरकार ने 2005 में 126 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसके बावजूद, 40 साल बाद भी यह कचरा पूरी तरह से साफ नहीं हो पाया है। 2023 में एक निरीक्षण समिति ने फिर से भूजल और मिट्टी के प्रदूषण का आकलन करने की सिफारिश की, लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
2010 में भारतीय अदालत ने यूनियन कार्बाइड के सात पूर्व प्रबंधकों को मामूली जुर्माना और कम समय की जेल की सजा सुनाई। पीड़ितों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस सजा से त्रासदी की भयावहता का न्याय नहीं हुआ। यूनियन कार्बाइड को 1999 में डॉव केमिकल्स ने खरीद लिया, लेकिन पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा और राहत नहीं मिली।
भोपाल गैस त्रासदी न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है। इस घटना ने औद्योगिक सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को उजागर किया। सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करना होगा। जहरीले कचरे का सुरक्षित निपटान, पीड़ितों के लिए उचित मुआवजा, और पर्यावरण की बहाली जैसे कदम उठाने की जरूरत है। भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी पीड़ा आज भी जिंदा है। यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि उन हजारों परिवारों के लिए एक दर्द है, जो अब भी न्याय और समाधान की आस में हैं।
RSS प्रमुख मोहन भागवत के जनसंख्या बयान पर, ये क्या बोल गई बीजेपी सांसद हेमा मालिनी
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.