Hindi News / Madhya Pradesh / Centuries Old Saraswati Puja And Her Statues In Bundelkhand Know What Is Such A Special Tradition

बुंदेलखंड में सदियों पुरानी सरस्वती पूजा और उनकी प्रतिमाएं, जाने ऐसा क्या खास परम्परा

India News (इंडिया न्यूज), Saraswati Puja: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में सदियों से माता सरस्वती की पूजा का महत्व रहा है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की जयंती बड़े श्रद्धा भाव से मनाई जाती है। इस अंचल में माता सरस्वती की पूजा के प्राचीन प्रमाण मिलते हैं, जो दर्शाते हैं कि […]

BY: Shagun Chaurasia • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Saraswati Puja: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में सदियों से माता सरस्वती की पूजा का महत्व रहा है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की जयंती बड़े श्रद्धा भाव से मनाई जाती है। इस अंचल में माता सरस्वती की पूजा के प्राचीन प्रमाण मिलते हैं, जो दर्शाते हैं कि यहां का संस्कृति और धार्मिक परंपराएं बहुत पुरानी हैं।

विभिन्न प्राचीन मंदिर और स्थल

बुंदेलखंड के विभिन्न प्राचीन मंदिरों और स्थलों पर माता सरस्वती की प्रतिमाएं पाई जाती हैं। इन प्रतिमाओं में कुछ ऐसी हैं, जो गणपति के साथ एकसाथ स्थापित की गई हैं, जबकि कुछ प्रतिमाएं स्वतंत्र रूप से स्थापित हैं। सागर जिले के रहली में स्थित सूर्य मंदिर की दीवारों पर एकल रूप में माता सरस्वती की प्रतिमा दर्शायी गई है। वहीं, देवरी कलां के सिद्धेश्वर मंदिर में भी गणपति के साथ माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित है।

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Saraswati Puja

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सूर्य मंदिर में स्थित चतुर्भुजी सरस्वती की प्रतिमा

माता सरस्वती का शिल्पकला में चित्रण कम देखने को मिलता है, लेकिन यहां के सूर्य मंदिर में स्थित चतुर्भुजी सरस्वती की प्रतिमा विशेष रूप से आकर्षित करती है। इस प्रतिमा में देवी के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में वीणा और तीसरे में अक्षमाल है। उनके पैरों के पास मृग बैठा है, जो एक विशेष प्रतीक माना जाता है।इस प्रकार, बुंदेलखंड न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहर बल्कि अपनी धार्मिक परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां माता सरस्वती की पूजा का सिलसिला सदियों से जारी है।

पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण

सागर जिले के रहली और देवरी क्षेत्र को पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां की प्रतिमाएं चंदेल और कल्चुरी काल की हैं, जो इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को दर्शाती हैं। इन प्रतिमाओं का संग्रह सूर्य मंदिर में किया गया है, जहां श्रद्धालु वसंत पंचमी के अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं।

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