Hindi News / Rajasthan / Rajasthan News Even After Years Of Independence Many Villages Of The Border Are Deprived Of Basic Facilities People Are Yearning For Every Drop Of Water

Rajasthan News: आजादी के 75 वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित सरहद के कई गांव, पानी की बूंद बूंद को तरस रहे लोग… 

India News (इंडिया न्यूज़),Rajasthan News: सरकार की ओर से विकास कार्यो को लेकर यूं तो बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन हकीकत में धरातल पर कितना विकास हुआ है, यह तो सुदूरवर्ती गांवों में जाने पर ही पता चलता है। आज भी जिले में तमाम ऐसे गांव है जहां आजादी के इतने वर्षो बाद भी […]

BY: Itvnetwork Team • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़),Rajasthan News: सरकार की ओर से विकास कार्यो को लेकर यूं तो बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन हकीकत में धरातल पर कितना विकास हुआ है, यह तो सुदूरवर्ती गांवों में जाने पर ही पता चलता है। आज भी जिले में तमाम ऐसे गांव है जहां आजादी के इतने वर्षो बाद भी विकास की किरणें नहीं पहुंची हैं। लोग आज भी बाबा-आदम के जमाने में जी रहे हैं। पानी की किल्लत से गांव में इतनी भी खेती नहीं होती कि गांव के लोग साल भर नून-भात खा सकें। गांव की महिलाएं माथे पर लकड़ी के गट्ठर लेकर 10 -15 किमी दूर में जाकर बेचती हैं। पुरुष हर दिन लकड़ी से कोयले बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं।

दूर दूर तक सरकारी हॉस्पिटल या स्कूल नही देता दिखाई

इतनी मशक्कत करने के बाद भी ये चावल एवं नमक मुश्किल से खरीद पाते हैं। सरकारी योजनाएं इस गांव में दम तोड़ रही हैं। बाखासर से बीकेडी बोर्डर तक पांच किमी लंबी सड़क पत्थरों से भरी पड़ी है। वाहनों का परिचालन मुश्किल से होता है। गांव के बच्चों को पढ़ाई करने इसी जर्जर सड़क से होकर गुजरना पड़ता है। इस क्षेत्र में दूर दूर तक सरकारी हॉस्पिटल या स्कूल नही दिखाई देता हैं, यहां के लोग सामान्य बुखार से लेकर मौसमी बीमारियों के इलाज के लिए पैदल बाखासर कस्बे में आते हैं।

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Rajasthan News: आजादी के 75 वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित सरहद के कई गांव

बरसात हो या सर्दी हर मौसम में आसमान तले रहने को मजबूर कई परिवार

सरकार ने प्रधानमंत्री आवास, अपना आशियाना सहित कई योजनाएं चलाई मगर सरहद पर ये योजनाएं कोई मायने नहीं रखती है, यहां कई परिवार खुले आसमान तले ही रहने को मजबूर है। पीड़ित लोग बताते हैं सरकारी योजनाएं क्या होती है सुना ही नहीं है, मतदान के वक्त जरुर गाड़ी में सवार होने का लाभ मिलता है मतदान केंद्र तक वोट करने के लिए, बाकि कभी किसी प्रकार की योजना यहां नही देखी।

पानी की बूंद बूंद को तरसते हैं लोग

सरहदी गांवों में पानी की किल्लत झेल रहे लोगों का कहना है कि यहां बरसाती पानी को एकत्रित करके रखते हैं, उसी से ही पूरा साल जेसे तेसे निकालते हैं, बिपरजोय तुफान ने रेतीले धोरों व छोटे छोटे तालाबों की तो तस्वीर बदल दी मगर पीने के पानी नही मिलने पर आधे से अधिक लोग पलायन कर गुजरात चले गए।

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