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 Rajasthan Assembly Elections 2023: झुंझुनूं में आर पार की लड़ाई, एक तरफ पंजा तो दूसरी ओर कमल, जानें किसका पलड़ा भारी

India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan Assembly Elections 2023: जब से चुनाव आयोग (Election Commission) ने विधानसभा चुनाव  2023 का बिगुल फूका है तब से पार्टियों ने भी अपने- अपने दावेदारों के चेहरों से पर्दा उठा दिया है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस जो सत्ता में दोबारा वापसी का दम भर रही है, तो वहीं सत्ता में बैठी […]

BY: Reepu kumari • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan Assembly Elections 2023: जब से चुनाव आयोग (Election Commission) ने विधानसभा चुनाव  2023 का बिगुल फूका है तब से पार्टियों ने भी अपने- अपने दावेदारों के चेहरों से पर्दा उठा दिया है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस जो सत्ता में दोबारा वापसी का दम भर रही है, तो वहीं सत्ता में बैठी भाजपा अपना 100 प्रतिशत जीत का दावा करते नहीं थक रही है। अब किसके दावे में कितना दम है ये तो जनता तय करेगी लेकिन उससे पहले जो चुनावी समीकरण राजस्थान के झुंझुनूं विधानसभा सीट पर बन रही है वो अलग ही कहानी बयां कर रही है। आईए इसे भी समझ लेते हैं। भाजपा की ओर से अपनी पहली सूची में 41 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया गया है।

बात करें झुंझुनूं जिले की सात सीट की तो यहां 4 पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी के नाम की  घोषणा कर दी है। जिसके तहत कमल ने मंडावा से झुंझुनूं सांसद नरेंद्र खीचड़ को चुनावी दंगल में उतारा है। जबकी झुंझुनूं से बबलू चौधरी उर्फ निषित कुमार, नवलगढ़ सीट से विक्रम जाखल खड़े होंगे और उदयपुरवाटी सीट पर शुभकरण चौधरी अपना दमखम दिखाने इस विधान सभा चुनाव में उतरेंगे।

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Rajasthan Assembly Elections 2023

कांग्रेस की पैठ

गौरतलब हो कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है। यहां के झुंझुनूं विधानसभा सीट पर कांग्रेस की पैठ है। हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं यकीन ना हो तो उसके पिछले चुनाव के नतीजे जान लीजीए। यहां कांग्रेस ने  सबको पछाड़ते हुए सात सीटों में से 5 पर  जीत हासिल की थी। तब भाजपा और बसपा को एक- एक सीट से संतोश करना पड़ा था। चुनाव है यहां कुछ भी हो सकता है और उस चुनाव में भी ऐसा ही हुआ। बाद में उदयपुरवाटी विधायक राजेन्द्र गुढ़ा कांग्रेस का दामन थाम लिया था। राजस्थान में झुंझुनू विधानसभा को बेहद खास माना जाता है।  इसे कांग्रेस की परंपरागत सीट भी कहा जाता है। जान ले कि ये जाट और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। दोनों समुदाय चुनाव के नतीजे में मजबूत असर डालते हैं।

 ओला परिवार का बोलबाला

अब तक यहां दिवंगत शीशराम ओला का इस क्षेत्र में दबदबा रहा है। लंबे वक्त से ओला परिवार ही यहां जीतती आ रही है। अभी उनके बेटे बृजेंद्र ओला इस सीट से विधायक हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 प्रत्याशियों ने एक दूसरे को टक्कर दिया था। लेकिन असली लड़ाई पंजा और कमल के बीच चल रही थी। तब कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह ओला भारतीय जनता पार्टी के राजेंद्र भामू को करारी शिकस्त देते हुए 40,565 हजार वोटों के मार्जिन से जीत दर्ज की थी।

 भाजपा का नया दांव

भले ही भाजपा जीत के दावे ठोक रही हो लेकिन जीत का इतिहास कांग्रेस का पलड़ा भारी कर रही है। यही कारण है कि इस विधानसभा चुनाव में भी ये सीट भाजपा के लिए टेशन का कारण बन सकती है। यह भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। जान लें कि बृजेन्द्र ओला इस सीट पर  जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। कांग्रेस के आगे कई चुनावों से भाजपा का यहां एक भी खाता नहीं खुला है। लेकिन इस बार भाजपा ने एक नई चाल चली है।  भाजपा ने इस बार नए प्रत्याशी को अपना हुकुम का इक्का बनाया। पिछले चुनाव में बबलू चौधरी खड़े हुए थे वह भी निर्दलीय। जनता ने उन्हे 29 हजार से ज्यादा वोट दिया था। उनकी सक्रियता के कारण ही इस बार भाजपा की ओर से बबलू अपना दबदबा दिखाएंगे।

इतने वोटर, इतनी आबादी

  • 2018 विधान सभा चुनाव में झुंझुनूं सीट पर कुल 2 लाख 39 हजार 8 वोटर्स रहें।
  • इसके तहत 1 लाख 23 हजार 903 पुरुष वोटर्स थे।
  • महिला वोटर्स की संख्या 1 लाख 15 हजार 105 थी।
  •  1 लाख 66 हजार 899 वोट इश चुनाव में पड़े।
  • कांग्रेस से बृजेन्द्र सिंह ओला को 76,177 वोट मिले।
  •  भाजपा से राजेन्द्र भांबू को 35,612 वोट मिलें।
  • इस चुनावी मैत में ओला ने 40,565 मतों के अंतर से यह जीत हासील की थी।

जान लें कि कांग्रेस का झुंझुनूं सीट पर लंबे लमय से दबदबा रहा है। यहां से जाट समुदाय के उम्मीदवार को मैदान में उतारना ज्यादा सेफ होता है। मुस्लिम वोटर्स की संख्या भी जबरदस्त है। यहां कांग्रेस को मुस्लिम वोटर्स का पूरा साथ मिलता है। यही कारण है कि यह सिट भाजपा के लिए किसी टेंशन से कम नहीं है।

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