Hindi News / Chhattisgarh / Chhattisgarh Naxal Big Success Against Naxalism In Chhattisgarh 11 Hardcore Naxalites Surrendered

नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ में बड़ी कामयाबी,11 हार्डकोर नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

India News (इंडिया न्यूज), Chhattisgarh Naxal:छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सीमा पर नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। गढ़चिरौली जिले में 11 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिससे सुरक्षा बलों को बड़ी राहत मिली है। ये नक्सली छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा क्षेत्र में सक्रिय थे और इनके खिलाफ पुलिस ने कई सालों से अभियान चलाए हुए थे। इन […]

BY: Shagun Chaurasia • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Chhattisgarh Naxal:छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सीमा पर नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। गढ़चिरौली जिले में 11 कुख्यात नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिससे सुरक्षा बलों को बड़ी राहत मिली है। ये नक्सली छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा क्षेत्र में सक्रिय थे और इनके खिलाफ पुलिस ने कई सालों से अभियान चलाए हुए थे। इन सभी 11 नक्सलियों पर कुल मिलाकर 1 करोड़ 3 लाख रुपये का इनाम घोषित था। ये नक्सली कई वारदातों में शामिल रहे थे और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए थे। इस साल गढ़चिरौली में यह 31वां आत्मसमर्पण है, जो नक्सलवाद के खिलाफ लगातार बढ़ते दबाव को दर्शाता है।

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Chhattisgarh Naxal

नक्सल संगठन की सीनियर लीडर भी शामिल

इन नक्सलियों में नक्सल संगठन की सीनियर लीडर विमला चंद्रा उर्फ तारक्का भी शामिल हैं, जो 62 साल की हैं। विमला ने 1986 में नक्सल संगठन से जुड़कर करीब 38 साल तक संगठन में काम किया। वे गढ़चिरौली क्षेत्र में नक्सलियों के अभियान की प्रमुख रही थीं। विमला के साथ ही सुरेश बैसागी, कल्पना गणपति तोर्रेम, अर्जुन तानु हिमाची, विनता सुकुल, सम्मी पांडू, निशा बोडका, श्रुति उगले, शशिकाल धुर्वे और सोनी सुक्की मट्‌टामी ने भी सरेंडर किया है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का संबोदन

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद गढ़चिरौली पुलिस मुख्यालय में एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह नक्सलवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर ताड़गुड़ा में एक नए पुल का उद्घाटन भी किया, जो क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगा। यह आत्मसमर्पण न केवल नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि यह उम्मीद का भी प्रतीक है कि अन्य नक्सली भी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट सकते हैं।

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