Charlie Chaplin Death Anniversary
Charlie Chaplin Death Anniversary: ‘कॉमेडी और दर्द का रिश्ता गहरा है’ भले ही यह किसी के लिए स्वीकारना मुश्किल हो, लेकिन सत्य यही है कि कॉमेडी का स्रोत दर्द है. कॉमेडियन अक्सर अपने दर्द, पीड़ा, मुश्किल हालात और कठिनाइयों को हास्य बनाकर पेश करते हैं. कहा भी जाता है कि जिस कलाकार को अपने दर्द पर हंसना आ गया वह असली कॉमेडियन बन जाता है. मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि कॉमेडियन अपने दुख-दर्द को कॉमेडी के जरिये बयां करते हैं या कहें उससे cope (निपटने) की कोशिश करते हैं. वह अपने दर्द पर हंसकर दूसरे के होंठों पर हंसी लाते हैं. ‘किसी को रुलाना आसान है, लेकिन हंसाना मुश्किल’ अभिनय की दुनिया में यह फलसफा या कहें जुमला खूब चलता है. ‘Comedy Is Serious Business’ यूं ही नहीं कहा जाता है. सबसे अच्छा कॉमेडिया बेहतरीन संजीदा कलाकार-अभिनेता होता है. देश-विदेश के ज्यादातर कॉमेडियन अपनी निजी पीड़ाओं को शो का हिस्सा बनाते हैं या दर्शक मुश्किल समय में हंसकर तनाव कम करते हैं. हम यहां पर बात कर रहे हैं दुनिया के महान अभिनेता चार्ली चैप्लिन की. इस महान कलाकार के बारे में यह तो कहा ही जा सकता है कि 1977 में चार्ली चैप्लिन के निधन के बाद ऐसा दूसरा कलाकार अब तक नहीं आया है. भले ही देश-दुनिया में हजारों-लाखों कॉमेडियन हुए, लेकिन चैपलिन तब भी लाजवाब थे और अब भी लाजवाब हैं (हैं इसलिए क्योंकि कलाकार हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहता है.)
ज्यादार कॉमेडियन अपनी निजी परेशानियों, असफलताओं, दर्द और अनुभवों को हास्य में बदल देते हैं. यह उनके लिए catharsis (विरेचन) का काम करता है और दर्शकों को भी उनसे जुड़ने का मौका मिलता है. 16 अप्रैल, 1889 को लंदन (ब्रिटेन) में जन्में चार्ली चैपलिन (Charlie Chaplin) के बारे में यह 100 प्रतिशत सही है कि कॉमेडी दर्द से निकलती है. बचपन से ही चार्ली ने पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक मुसीबतों का सामना किया. उन्होंने ऐसा संघर्ष किया जो हर किसी के बस में नहीं होता है. खासकर बच्चा तो टूट जाता है. चार्ली चैपलिन का जन्म बेहत सामान्य परिवार में हुआ. चार्ली जब पैदा हुए तो कुछ सालों तक सबकुछ ठीक रहा, लेकिन धीरे-धीरे माता-पिता के रिश्ते में खटास आ गई. आखिरकार दोनों तलाक लेकर अलग हो गए. इस अलगाव ने चार्ली को अंदर तक हिला दिया. चार्ली चैपलिन को मां हेना ने पाला. इस तरह उन्हें पिता का साथ नहीं मिला. चार्ली थोड़े बड़े हुए तो उनकी मां की मानसिक स्थिति खराब हो गई. वह पूरी तरह से पागल हो चुकी थीं. उन्हें मानसिक अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि पिता होकर भी नहीं थे और मां का होना-ना-होना एक बराबर था. फिर भी उन्होंने मां को संभाला. यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि चार्ली चैपलिन के पिता चार्ल्स चैपलिन सिंगर और एक्टर थे. जबकि मां लिली हार्ले आकर्षक अभिनेत्री और गायिका थीं.
पिता से अलगाव के बाद वह अपनी मां के साथ एक साधारण से घर में रहने लगे. बहुत कम उम्र में चार्ली चैपलिन ने जिम्मेदारी निभानी शुरू कर दी थी, क्योंकि पागल मां का जिम्मा भी उन पर था. घर का खर्च चलाने के लिए उन्होंने सिर्फ 5 साल की उम्र में ही बतौर अभिनेता स्टेज पर परफॉर्म करना शुरू कर दिया था. उनका कद सिर्फ 5 फीट और 5 इंच था, जो अन्य कलाकारों की तुलना में कम था. कद तो छोटा था, लेकिन लोच भी थी. वह अपने अभिनय में कद का भी अच्छा इस्तेमाल करने लगे. चार्ली चैपलिन जब स्टेज पर उतरते तो अपनी गोल टोपी, मूंछें और लड़खड़ाती चाल से दर्शकों को हंसाते थे. यही अदा उनका सिग्नेचर स्टेटमेंट बन गई. बचपन में वह स्टेज पर उतरते तो डायरेक्टर की डिमांड रहती कि दर्शकों को हंसाना है. स्टेज पर थिएटर सीखने के दौरान चार्ली चैपलिन ने अभिनय, निर्देशन, लेखन और संगीत भी सीखा. चार्ली चैपलिन के एक्टिंग करियर की शुरुआत बचपन में ही हो गई थी, जब वह स्टेज पर लोगों को हंसाने लगे. वर्ष 1914 में उन्होंने ‘कीस्टोन कॉमेडीज’ और कई अन्य फिल्में बनाईं. इन फिल्मों को दुनियाभर के दर्शकों ने खूब पसंद किया. उन्होंने ‘द ट्रैम्प’ का निर्माण किया. यह शायद चार्ली चैपलिन की सबसे मशहूर फिल्म है. फिल्मों में अपने मजाकिया अंदाज और किरदार के चलते करियर की बुलंदी पर पहुंच गए.
बहुत कम उम्र से ही स्टेज पर नाटक मंचन करने वाले चार्ली ने कई संजीदा रोल भी किए. कई डायरेक्टर ने उनसे सीरियल रोल करवाए और चार्ली ने अपना 100 प्रतिशत दिया. बावजूद इसके चार्ली चैपलिन कॉमेडी को ही अपना जोनर बना चुके थे. जब मूक सिनेमा का दौर शुरू हुआ तो चार्ली ने अपना हाथ कॉमेडी फिल्मों में आजमाया. इसके बाद अपने अभिनय, निर्देशन, लेखन और संगीत से ब्रिटेन ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लोगों का दिल जीता. एक्टर ने अपनी ‘लिटिल ट्रैम्प’ (छोटा आवारा) किरदार के साथ दुनिया भर में पहचान बनाई. अपनी गोल टोपी के साथ मूंछें घुमाना लोगों को हंसने के लिए मजबूर कर देता. इसके बाद लड़खड़ाती चाल से दर्शकों के दिलों पर जादू कर जाते थे. चार्ली चैपलिन ने अपनी फ़िल्मों में सिर्फ हास्य ही नहीं परोसा बल्कि इसी बहाने सामाजिक मुद्दों पर भी टिप्पणी की. ‘द गोल्ड रश’, ‘सिटी लाइट्स’ और ‘मॉडर्न टाइम्स’ फिल्मों में सिर्फ़ हास्य ही नहीं है बल्कि सामाजिक मुद्दे भी नजर आते हैं. सच बात तो यह है कि ऑस्कर अवार्ड जीतने वाले चार्ली चैपलिन को यदि कद के हिसाब परखा जाता तो वे कभी भी टाइम मैगजीन के कवर पर न आते. भले ही वे छोटे कद के थे, लेकिन मूक फिल्म को पॉपुलर बनाने का श्रेय कम कद वाले चार्ली चैपलिन को ही जाता है. वर्ष 1928 में आई फिल्म ‘द सर्कस’ ने चार्ल्स चैपलिन को उनका पहला अकादमी पुरस्कार दिलाया. यहां पर बता दें कि उस समय इसे ‘ऑस्कर’ नहीं कहा जाता था. चार्ली को यह पुरस्कार 1929 में पहले पुरस्कार समारोह में दिया गया था.
चार्ली चैपलिन ने वर्ष 1913 में अमेरिका का रुख किया. इसके बाद मैक सेनेट की कीस्टोन फिल्म कंपनी में शामिल हुए. करीब 6 साल बाद यानी 1919 में उन्होंने डगलस फेयरबैंक्स, मैरी पिकफोर्ड और डी.डब्ल्यू. ग्रिफिथ के साथ मिलकर ‘यूनाइटेड आर्टिस्ट्स’ स्टूडियो की स्थापना की. इसके जरिये फिल्म निर्माताओं को अपने काम पर अधिक नियंत्रण मिला. कहा जाता है कि चार्ली की कीस्टोन प्रोडक्शन कंपनी में काम करने के दौरान साप्ताहिक कमाई ही 175 डॉलर थी. वर्तमान के हिसाब से यह लगभग 4,400 डॉलर प्रति सप्ताह और लगभग 230,000 डॉलर प्रति वर्ष के बराबर है. वर्ष 1915 में चार्ली चैपलिन ने एस्सेनाय प्रोडक्शन कंपनी के साथ एक नया समझौता किया, जिससे उनका एक ही हफ्ते का ही वेतन बढ़कर 1,250 डॉलर हो गया. निधन के समय चार्ली चैपलिन की कुल संपत्ति कम से कम 10 करोड़ डॉलर थी. यह डॉलर के हिसाब से वर्तमान में 40 करोड़ डॉलर के बराबर है. चार्ली चैपलिन ने कुल 4 शादी की और उनके कुल 11 बच्चे थे.
बहुत कम लोगों को पता होगा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और महान कलाकार चार्ली चैपलिन की भी मुलाकात हो चुकी है. 1953 का कोई महीना था जब जवाहरलाल नेहरू एक बैठक में शामिल होने के लिए स्विट्जरलैंड गए थे. यहां पर एक आयोजन के दौरान जवाहर लाल नेहरू से चार्ली चैपलिन की मुलाकात हो गई. यह कम बड़ी बात नहीं है कि भारत के प्रधानमंत्री की मुलाकात का जिक्र खुद चार्ली चैपलिन ने अपनी आत्मकथा में भी किया है. इसके बाद एक रोचक हादसा भी हुआ. दअसल, जवाहर लाल नेहरू और चार्ली चैपलिन कार में कहीं जा रहे थे. दोनों बातों में खोए थे. इसी दौरान दुर्घटना से बचाने के लिए उनके ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगाया. इसके बाद उनकी कार दूसरी गाड़ी से टकराते-टकराते बची. इस दौरान उन दोनों की जान बाल-बाल बची थी. इसका पूरी घटना का जिक्र चार्ली चैपलिन की आत्मकथा में मिलता है.
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वैसे तो चार्ली चैपलिन हंसने-हंसाने के लिए मशहूर रहे. ब्रिटेन छोड़कर वह अमेरिका गए और उन्होंने वहां पर कई फिल्में भी बनाईं. वहीं, एक बार उनके ऊपर बाल विवाह करवाने का आरोप लगा था. आरोप के बाद FBI द्वारा जांच भी की गई थी. चार्ली चैपलिन को अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. आखिरकार वह अमेरिका से स्विट्ज़रलैंड चले गए थे. फिर पूरा जीवन वहीं गुजारा.
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चार्ली चैपलिन ने जीवनभर अभिनय किया और लोगों को हंसाया. वह अपनी मौत से पहले तक काम करते रहे. वर्ष 1977 तक आते-आते उन्हें संवाद अदायगी में दिक्कत आने लगे. वह ठीक से खड़े तक नहीं हो पाते थे. डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने व्हीलचेयर का इस्तेमाल शुरू कर दिया था. आखिरकार स्विट्जरलैंड के वेवे में 25 दिसंबर 1977 को दुनिया को अलविदा कह दिया. बहुत कम लोग जानते होंगे कि दुनिया भर में अभिनय से शोर मचाने वाले चार्ली चैपलिन बहुत ही चुपचाप से दुनिया से गए. बताया जाता है कि वह सोए और फिर कभी नहीं उठे. उनका निधन नींद में हुआ. उनके निधन से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है. निधन के बाद उन्हें एक कब्रिस्तान में दफनाया गया. चोरो ने चार्ली चैपलिन का ताबूत चुराया और पत्नी से ताबूत लौटाने के लिए फिरौती में 4 करोड़ 90 लाख रुपये की भारी भरकम रकम की मांग की थी. उनकी पत्नी ने यह रकम देने से इन्कार कर दिया. उस समय की मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि चोरों ने चार्ली चैपलिन के बच्चों को भी धमकाया था. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चोरों को पकड़ लिया. ऐसी घटना दोबारा न हो, इसलिए स्थानीय प्रशासन ने उनके ताबूत को कंक्रीट की मजबूत परतों के बीच रखकर दफनाया.
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