Pfizer-BioNTech Vaccine कोविड-19 के गंभीर लक्षणों को रोक पाने में ‘कम से कम’ छह महीनों तक बेहद प्रभावी है, लेकिन संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा उस दौरान आधा हो जाता है। ये खुलासा लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक नई रिसर्च से हुआ है।
फाइजर की रिसर्च में पाया गया कि वैक्सीन का असर दूसरे डोज के करीब छह महीनों बाद 50 फीसद कम हो जाता है। टीकाकरण पूरा कर लेने के बाद पहले महीने में वैक्सीन 88 फीसद प्रभावी थी लेकिन करीब छह महीनों बाद प्रभावशीलता 47 फीसद घट गई। हालांकि, वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ बेहद प्रभावी साबित हुई।
Pfizer-BioNTech Vaccine
शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारे नतीजे अस्पताल में दाखिल होने के जोखिम का पूरी तरह टीकाकरण कराने के बाद करीब छह महीनों तक काफी प्रभावशीलता का समर्थन करते हैं, यहां तक कि डेल्टा वेरिएंट के व्यापक प्रसार के बावजूद भी। कोरोना संक्रमण के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता में कमी समय के साथ शायद मुख्य रूप से इम्यूनिटी घटने के कारण है।
गंभीर बीमारी के खिलाफ सुरक्षा पूरी अवधि में ऊंची रही, यानी टीकाकरण के बाद छह महीनों तक 93 फीसद प्रभावी। रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने वैक्सीन लगवाने वाले 34 लाख लोगों के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का मुआयना किया। उन्होंने पाया कि टीकाकरण पूरा करवाने वाले लोगों को वैक्सीन से कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा 73 फीसद मिली और संक्रमण के नतीजे में अस्पताल जाने से 90 फीसद प्रभावी साबित हुई।
रिसर्च से पता चला कि फाइजर की कोविड-19 वैक्सीन का असर दूसरा डोज लगने के एक महीने बाद कम होना शुरू हो जाती है और छह महीनों बाद कम होकर आधा हो जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वैक्सीन का असर 6 महीने बाद 88 फीसद से घटकर 47 फीसद होने के बावजूद टीकाकरण कराने वाले लोगों में बीमारी के गंभीर लक्षण नहीं विकसित होते हैं और इस तरह उनको अस्पताल जाने से सुरक्षा मिल जाती है।
नतीजे सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और इजराइली स्वास्थ्य अधिकारियों की शुरुआती रिपोर्ट की पुष्टि करते हैं। उसमें पाया गया था कि कई महीनों बाद संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा में कमी आ जाती है यहां तक कि उसका असर लोगों को अस्पताल से दूर रखने में बना रहता है।
(Pfizer-BioNTech Vaccine)
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