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Right Way To Consume Flax Seed फ्लैक्स सीड/अलसी सेवन का सही तरीका

Mukta • LAST UPDATED : December 10, 2021, 12:04 pm IST

Right Way To Consume Flax Seed हमें प्रतिदिन 30–60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। इसकी 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये।डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।

इसके अलावा दूसरे तरीके (Right Way To Consume Flax Seed)

● आप अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये।
● इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये।
● भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है।
● लेकिन आप इसे जादा मात्रा में बना के न रक्खे क्युकि ये खराब हो जाती है। एक हफ्ते के लिए बनाना ही चाहिए।

(Right Way To Consume Flax Seed)

● अलसी आपको अनाज बेचने वाले तथा पंसारी या आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बेचने वालो के यहाँ से मिल जायेगी।
● अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है।
● इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है।
● यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।

(Right Way To Consume Flax Seed)

● इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है।
● यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है।
● अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है।
● यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है।
● अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है।
● उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।
● अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है।
● पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है।
● अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें।

(Right Way To Consume Flax Seed)

● स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा।
● इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है।
● यह नाश्ते के साथ लें।
● बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है।
● इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है।
● अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें।

(Right Way To Consume Flax Seed)

● तीन घंटे बाद छानकर पीएं।
● इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा।
मूत्र भी खुलकर आने लगेगा।
● इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है।
● डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है।
● अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)
■ अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।
● कई असाध्य रोग जैसे अस्थमा, एल्ज़ीमर्स, मल्टीपल स्कीरोसिस, डिप्रेशन, पार्किनसन्स, ल्यूपस नेफ्राइटिस, एड्स, स्वाइन फ्लू आदि का भी उपचार करती है अलसी।
● कभी-कभी चश्में से भी मुक्ति दिला देती है अलसी।
● दृष्टि को स्पष्ट और सतरंगी बना देती है अलसी।
● जोड़ की हर तकलीफ का तोड़ है अलसी।

(Right Way To Consume Flax Seed)

● जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट सर्जरी का सस्ता और बढ़िया उपचार है अलसी। ­­
● आर्थ्राइटिस, सियाटिका, ल्युपस, गाउट, ओस्टियोआर्थ्राइटिस आदि का उपचार है अलसी।
● लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत अलसी ही है जो जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी, फफूंदरोधी और कैंसररोधी है।
● अलसी शरीर की रक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर शरीर को बाहरी संक्रमण या आघात से लड़ने में मदद करती हैं और शक्तिशाली एंटी-आक्सीडेंट है।
● लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक उभरता हुआ सात सितारा पोषक तत्व है जो स्त्री हार्मोन ऐस्ट्रोजन का वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स् का समुचित संतुलन रखता है।

(Right Way To Consume Flax Seed)

● लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है।
● लिगनेन रजोनिवृत्ति जनित कष्ट और अभ्यस्त गर्भपात का प्राकृतिक उपचार है।
● लिगनेन दुग्धवर्धक है।
लिगनेन स्तन, बच्चेदानी, आंत, प्रोस्टेट, त्वचा व अन्य सभी कैंसर, एड्स, स्वाइन फ्लू तथा इनलार्ज या बढ़े हुए प्रोस्टेट आदि बीमारियों से बचाव व उपचार करता है।

● त्वचा, केश और नाखुनों का नवीनीकरण या जीर्णोद्धार करती है अलसी।
● अलसी के शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनाते हैं।
● अलसी सुरक्षित, स्थाई और उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाता है।
● त्वचा, केश और नाखून के हर रोग जैसे मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, खुजली, सूखी त्वचा, सोरायसिस, ल्यूपस, डेन्ड्रफ, बालों का सूखा, पतला या दोमुंहा होना, बाल झड़ना आदि का उपचार है अलसी।

(Right Way To Consume Flax Seed)

● चिर यौवन का स्रोता है अलसी।
● बालों का काला हो जाना या नये बाल आ जाना जैसे चमत्कार भी कर देती है अलसी।
● किशोरावस्था में अलसी के सेवन करने से कद बढ़ता है।
● अलसी एक फीलगुड फूड है।
● अलसी के सेवन से मन प्रसन्न रहता है।
● झुंझलाहट या क्रोध नहीं आता है।
● पॉजिटिव एटिट्यूड बना रहता है यह आपके तन, मन और आत्मा को शांत और सौम्य कर देती है।
● अलसी के सेवन से मनुष्य लालच, ईर्ष्या, द्वेश और अहंकार छोड़ देता है।
● इच्छाशक्ति, धैर्य, विवेकशी

(Right Way To Consume Flax Seed)

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