Politics On Chandigarh : जानिए, इन दिनों चंडीगढ़ पर क्यों गरमाई है सियासत, कौन कर रहा विरोध
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़: Politics On Chandigarh : हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ इस समय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर पंजाब सेवा नियमों के स्थान पर केंद्रीय सेवा नियम लागू होने का ऐलान कर दिया, जिसका पंजाब में आम […]
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
Politics On Chandigarh : हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ इस समय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर पंजाब सेवा नियमों के स्थान पर केंद्रीय सेवा नियम लागू होने का ऐलान कर दिया, जिसका पंजाब में आम आदमी पार्टी ने विरोध भी किया।
इसी विरोध के चलते पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ को तुरंत प्रभाव से पंजाब को सौंपे जाने की मांग करते हुए बीते दिन (शुक्रवार) पंजाब विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया और यह प्रस्ताव विधानसभा की ओर से पास भी हो गया। तो चलिए जानते हैं क्या है चंडीगढ़ का राजनीति विवाद। क्यों बना था चंडीगढ़। कैसे बना चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब की राजधानी।
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इसलिए पंजाब और केंद्र सरकार हैं आमने-सामने?
गृहमंत्री अमित शाह के चंडीगढ़ के सरकारी कर्मचारियों पर केंद्रीय सर्विस नियम लागू करने के ऐलान के बाद से सियासत गरमा गई। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र पर चंडीगढ़ के प्रशासन में संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा है कि चंडीगढ़ केंद्र शासित क्षेत्र प्रशासन के कर्मचारियों की सेवा शर्तें अब केंद्रीय सिविल सेवाओं के अनुरूप होंगी और इसका उन्हें बड़े पैमाने पर लाभ होगा। लेकिन आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध किया है।
वहीं केंद्र सरकार के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक चंडीगढ़ के 22 हजार सरकारी कर्मचारी केंद्रीय कर्मचारी हो गए हैं। नए नियमों के तहत ग्रुप ए, बी और सी ग्रेड के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 58 से बढ़कर 60 हो गई है। वहीं फोर्थ ग्रेड में रिटायरमेंट की उम्र 60 से 62 वर्ष हो गई है. जिसके बाद पंजाब-केंद्र सरकार आमने सामने आ गई है।
चंडीगढ़ को हरियाणा से कोई नहीं छीन सकता: सीएम मनोहर लाल
वहीं बीते शुक्रवार को चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम- 1966 के माध्यम से पंजाब को तोड़कर हरियाणा राज्य बनाया गया था और चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। तब से चंडीगढ़ के शासन में दोनों राज्यों का बैलेंस था, जिसे अब केंद्र सरकार खत्म करने की कोशिश कर रही है। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों से संबंधित है। कोई भी चंडीगढ़ को हरियाणा से छीन नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ एक स्वतंत्र राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित प्रदेश है जो पंजाब और हरियाणा की राजधानी है।
पूरी प्लानिंग के साथ बनाया गया खूबसूरत शहर? (Politics On Chandigarh)
कहते हैं कि आजादी से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर थी। 1947 में जब बंटवारा हुआ तो लाहौर पाकिस्तान में चला गया। उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एक योजना के तहत पंजाब की राजधानी ऐसे आधुनिक शहर की तर्ज पर बसाना चाहते थे जो देश में शहरी विकास का मॉडल बन सके।
वर्ष 1948 में पंजाब सरकार ने भारत सरकार के साथ चर्चा के बाद 24 गांवों में पड़ती 114 वर्ग किलोमीटर भूमि पर राजधानी बनाने की योजना बनाई और साल 1950 में इस परियोजना के लिए नियुक्त किए गए अमरीकी वास्तुविद मेयर ने नेहरू जी को लिखा था, ‘ये शहर विश्व में पिछले तीस साल में शहरी विकास के क्षेत्र में प्राप्त ज्ञान को दर्शाएगा’। बताया जाता है कि भारत में एक चंडीगढ़ ऐसा शहर है जोकि पूरी प्लानिंग के साथ बनाया गया।
कैसे पड़ा नाम, क्यों कहा जाता पत्थरों का शहर?
इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ”चंडिका” के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। कहते हैं कि भूमि के बड़े टुकड़े पर सबकुछ नया निर्मित किया गया इसलिए चंडीगढ़ को पत्थरों का शहर भी कहा जाता है। फ्रांस के आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए ने इस शहर का मास्टर प्लान बनाया। वहीं साल 1952 जब जवाहरलाल नेहरू चंडीगढ़ को बसाने का निरीक्षण करने आए थे तो उन्होंने कहा था कि यह एक नया शहर होना चाहिए जो भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक हो, बीते युग की परंपराओं से मुक्त हो और भविष्य के बारे में राष्ट्र की आस्था को दशार्ता हो।
फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजिए ने कहा था कि यह शहर गरीब से गरीब नागरिक को भी जिंदगी की सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगा ताकि वह मयार्दा से जीवन व्यतीत कर सके। कार्बूजिए की योजना के मुताबिक उत्तरी भाग में प्रशासनिक इलाका केपिटल कॉम्पलैक्स बनाया गया। पश्चिमी भाग में शिक्षा संस्थान बनाए गए, केंद्र में व्यवसायिक इमारतों का प्रावधान किया गया। दक्षिण-पूर्वी भाग में रिहायशी इलाकों से परे औद्योगिक क्षेत्र के लिए जगह रखी गई। रिहायशी इलाका व्यवसायिक इमारतों के आसपास सेक्टरों में बांटा गया।
कैसे बनी हरियाणा-पंजाब की राजधानी? (Politics On Chandigarh)
कहते हैं कि एक नवंबर 1966 को पंजाब के हिन्दी-भाषी पूर्वी भाग को काटकर हरियाणा राज्य का गठन किया गया, जबकि पंजाबी-भाषी पश्चिमी भाग को वर्तमान पंजाब ही रहने दिया था। हरियाणा का गठन होने के बाद उसे भी राजधानी की जरूरत हुई। उस समय हरियाणा के पास कोई ऐसा शहर नहीं था जो आधुनिक हो।
इसलिए चंडीगढ़ को ही पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी के रूप में घोषित किया गया। साथ ही संघ शासित क्षेत्र भी घोषित किया गया था। कहते हैं कि चंडीगढ़ को उस समय दोनों राज्यों की राजधानी इसलिए बनाया गया था। क्योंकि उस समय चंडीगढ़ के पास ही प्रशासनिक ढांचा था। पंजाब पुनर्गठन एक्ट में ये भी तय किया कि चंडीगढ़ की संपत्तियों का 60 फीसदी हिस्सा पंजाब और 40 फीसदी हिस्सा हरियाणा को मिलेगा।
1985 में भी पंजाब को मिलते-मिलते रह गया था ‘चंडीगढ़?
आपको बता दें कि चंडीगढ़ पर दावों को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच शुरू से विवाद रहा है। पुनर्गठन के 20 साल बाद 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौता हुआ। इसमें चंडीगढ़ पंजाब को सौंपने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। लेकिन ऐन मौके पर राजीव गांधी ने इस समझौते से हाथ खींच लिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1970 में केंद्र सरकार ने हरियाणा को 5 साल में अपनी राजधानी बनाने को कहा था। इसके लिए 10 करोड़ रुपये की मदद भी दी गई थी लेकिन राजधानी नहीं बन सकी। Politics On Chandigarh