AI Water Consumption: एक तरफ एआई हमारी जिंदगी को आसान बना रहा है. वो हमारे सवालो का जवाब चुटकियों में दे देता है.आज एआई हमारी जिंदगी का एक साधारण हिस्सा बन गया है. वहीं दूसरी तरफ हमें ये तक पता नहीं है कि आखिर इस एआई के पीछे क्या चल रहा है. हम बस अपने फोन पर उंगलियां घुमाते हुए सवाल टाइप करते हैं और फटाफट उसका जवाब मिल जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके एक सवाल के बदले में एआई एक बोतल पानी गटक जाता है.
जिस एआई को हम फास्ट और स्मार्ट समझकर फ्यूचर मान रहे हैं,वो चुपचाप इतनी मात्रा में धरती का पानी पी रहा है कि अब खतरे की घंटी बजने लगी है. अब विशेषज्ञ इस सोच में पडे़ हैं कि आखिर इसे कैसे रोका जाए और इसके लिए क्या ऑप्शन हैं? हाल ही में एक रिसर्च की गई, जिसमें पता चला कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम सालाना इतने पानी की खपत करता है, जितना पूरे साल में बोतलबंद पानी का इस्तेमाल किया जाता है. लोगों को सुनने में ये अजीब लग सकता है लेकिन टेक इंडस्ट्री में ये सच्चाई साफ हो गई है.
बता दें कि एआई चलाने के लिए बड़े-बड़े डेटा सेंटर्स काम करते हैं. जब वे सर्वर पर काम करते हैं, तो काफी गर्म होते हैं, जिसके कारण उस पर नियंत्रण करने के लिए पानी का इस्तेमाल भी होता है, जो एआई का असली ईंधन है. हालांकि आम यूजर्स इस सच्चाई को नहीं जानते. रिसर्च में पता चला है कि एआई से जुड़े सिस्टम अब तक 300 से 700 अरब लीटर की खपत कर चुके हैं. अगर इसे बोतलबंद पानी से कंपेयर किया जाए, तो ये सालाना बिकने वाले बोतलबंद पानी से ज्यादा है.
बता दें कि कई शहर पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं. कुछ जगहों पर पानी की सप्लाई सीमित है. गांवों में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. ऐसे में एआई पानी की इतनी ज्यादा खपत करता है, तो ये चिंता का विषय है. अगर एआई इसी तरह से पानी की खपत करता रहा, तो आने वाली पीढ़ियों पर इसका गंभीर खतरनाक असर देखने को मिल सकता है.
जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ पानी ही नहीं एआई बिजली की खपत भी तेजी से करता है.एआई के डेटा सेंटर्स को चलाने के लिए भारी मात्रा में बिजली की भी जरूरत पड़ती है. इसका अर्थ है ज्यादा कार्बन उत्सर्जन. कहा जा रहा है कि AI से पैदा होने वाला कार्बन फुटप्रिंट कई बड़े शहरों के सालाना प्रदूषण के बराबर हो सकता है. हालांकि अब तक इस पर कोई सटीक जानकारी नहीं मिल सकी है.
वहीं आज के समय में लोग एआई टूल्स का छोटी-छोटी बातों या मनोरंजन के लिए करते हैं. लेकिन भले आपका सवाल छोटा हो या बड़ा उसका असर इसमें जुड़ता रहता है. छोटी-छोटी खपत मिलकर अरबों लीटर पानी की खपत करा देते हैं. हालांकि अगर एआई की रफ्तार बिना किसी प्लानिंग के ऐसे ही चलती रही, तो पानी की कमी गहराती जाएगी. कुछ एआई कपनियां इस पर काम कर रही हैं कि पानी की खपत को कैसे कम किया जा सके. वहीं सवाल ये भी है कि एआई इतना पानी कहां से ले रहा है और इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
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