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Taliban in Afghanistan
इंडिया न्यूज, काबुल:
Taliban in Afghanistan अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान की सेना और सरकार को निरस्त करते हुए पूरे देश पर कब्जा कर लिया था। इसके साथ ही अफगानिस्तान की सत्ता की चाबी तालिबान के हाथों में आ गई थी। इसके बाद विश्व के कुछ प्रमुख देशों ने तालिबान को मान्यता देना शुरू कर दिया था।
जिससे तालिबान के हौसले बुलंद हो गए। लेकिन देश में लोकतंत्र के खत्म होने ही मानवीय अधिकारों का तेजी से हनन होना शुरू हो गया। तालिबान ने शासन संभालते ही लोगों विशेषकर महिलाओं पर तुगलकी फरमान लगा दिए। इसके साथ ही देश में आतंकी हमलों की शुरुआत हो गई। जिसमें सैकड़ों बेकसूर लोगों की जान जा चुकी है।
अफगानिस्तान में लोकतंत्र खत्म होने के साथ ही देश का संपर्क विश्व के अन्य देशों से समाप्त हो गया। इसका गहरा असर वहां की आर्थिकता पर पड़ा है। हाल के सप्ताहों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने देश में तेजी से बढ़ रहे मानवीय आपातकाल के बारे में चेतावनी दी है।
सर्दियों से पहले लाखों अफगानों तक सहायता पहुंचाने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अफगानिस्तान की लगभग आधी आबादी आने वाले महीनों में भोजन से वंचित होने वाली है। वर्ष के अंत तक पांच वर्ष से कम आयु के 32 लाख बच्चों के कुपोषण से पीड़ित होने की आशंका है। हालांकि, देश की दीर्घकालिक जरुरतों को इन अधिक तीव्र चिंताओं से इतनी आसानी से अलग नहीं किया जा सकता है।
तालिबान के हाथों सरकार गिरने के बादअफगानिस्तान की विदेशी संपत्ति लगभग 9.5 अरब अमेरिकी डॉलर को तत्काल अमेरिका में फ्रीज कर दिया गया। इससे देश के वित्तीय और सार्वजनिक क्षेत्र लगभग पतन के कगार पर आ गए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार इस वर्ष देश की अर्थव्यवस्था के 30% तक घटने की आशंका है, जिससे लोग और अधिक गरीबी में घिर जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2022 के मध्य तक 97% अफगान गरीबी की गिरफ्त में हो सकते हैं।
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