इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) हमें धाराएं (Sections) न्यायालय (Court) और पुलिस (Police) के काम करने के तरीकों (Process) के बारे में बताती है। सीआरपीसी (CrPC) की धारा 65 (Section 65) में जब पूर्व उपबंधित प्रकार से तामील न की जा सके, तब किस प्रक्रिया को अपनाया जाए। इसका प्रावधान किया गया है। चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 65 में क्या प्रावधान है?
क्या है सीआरपीसी की धारा 65
सीआरपीसी की धारा 65 में जब पूर्व उपबंधित (pre-provided) प्रकार से तामील (service) न की जा सके, तब किस प्रक्रिया (Process) को अपनाया जाए इसके बारे में बताया गया है। CrPC की धारा 65 के अनुसार, यदि धारा 62, धारा 63 या धारा 64 में उपबंधित रूप से तामील सम्यक् तत्परता (due diligence) बरतने पर भी न की जा सके तो तामील करने वाला अधिकारी (serving officer) समन की दो प्रतियों में से एक को उस गृह या वासस्थान के, जिसमें समन किया गया व्यक्ति मामूली तौर पर निवास (modest residence) करता है, किसी दृश्य भाग (visible part) में लगाएगा।
तब न्यायालय ऐसी जांच करने के पश्चात् (after checking) जैसी वह ठीक समझे या तो यह घोषित (declared) कर सकता है कि समन की सम्यक् तामील (due service of summons) हो गई है या वह ऐसीरीति (such manner) से नई तामील का आदेश (service order) दे सकता है, जिसे वह उचित समझे।
सीआरपीसी क्या है
सीआरपीसी एक अंग्रेजी का शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ ‘दंड प्रक्रिया संहिता’ होता है। सीआरपीसी में 37 अध्याय हैं, जिनके अंतर्गत कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं। जब कभी कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं। पहली प्रक्रिया पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है। दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है। सीआरपीसी में इन्हीं प्रक्रियाओं का ब्योरा है।
कब लागू हुई थी सीआरपीसी
वर्ष 1973 में सीआरपीसी के लिए कानून (Law) पारित किया गया था। 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता देश में लागू हो गई थी। 1974 में लागू होने के बाद से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं।
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