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ग्वालियर की जनता को जानवर समझा… आखिर क्यों MP सरकार को कोर्ट ने लगाई फटकार?

India News (इंडिया न्यूज), MP High Court: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ग्वालियर नगर निगम में एक पशु चिकित्सक को स्वास्थ्य अधिकारी बनाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने इस फैसले को गलत ठहराते हुए सरकार और नगर निगम को फटकार लगाई। ग्वालियर नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति को लेकर उठे इस […]

BY: Shagun Chaurasia • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), MP High Court: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ग्वालियर नगर निगम में एक पशु चिकित्सक को स्वास्थ्य अधिकारी बनाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने इस फैसले को गलत ठहराते हुए सरकार और नगर निगम को फटकार लगाई। ग्वालियर नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति को लेकर उठे इस विवाद ने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोर्ट के इस सख्त रुख से साफ है कि भविष्य में ऐसी गलत नियुक्तियों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

क्या है मामला?

ग्वालियर नगर निगम ने डॉ. अनुज शर्मा को स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर नियुक्त किया था, जबकि वे एक पशु चिकित्सक (वेटरनरी डॉक्टर) हैं। यह नियुक्ति दो साल के लिए की गई थी। इस पर डॉ. अनुराधा गुप्ता ने आपत्ति जताते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्होंने तर्क दिया कि स्वास्थ्य अधिकारी के पद के लिए एमबीबीएस डिग्री अनिवार्य है और पशु चिकित्सक को इस पद पर नियुक्त करना नियमों का उल्लंघन है।

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कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि “क्या ग्वालियर की जनता को जानवर समझ लिया है, जो एक पशु चिकित्सक को स्वास्थ्य अधिकारी बना दिया गया?” न्यायालय ने इस नियुक्ति को गलत करार देते हुए तत्काल प्रभाव से डॉ. अनुज शर्मा को उनके पद से हटाने के आदेश दिए।

क्या कहा न्यायालय ने?

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य अधिकारी का पद केवल एमबीबीएस डिग्री धारक को ही दिया जा सकता है। पशु चिकित्सा (वेटरनरी) की डिग्री रखने वाला व्यक्ति मानव स्वास्थ्य से संबंधित कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा और 19 मार्च को अगली सुनवाई तय की है।

सरकार को सख्त निर्देश

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी गलतियां न हों। साथ ही, अदालत ने इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता बताई ताकि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार हो सके।

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