होम / Gwalior-Chambal Vidhan Sabha Seat: राजमाता के वर्चस्व को बरकार रख पाएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया? जानें चंबल और सिंधिया परिवार का इतिहास

Gwalior-Chambal Vidhan Sabha Seat: राजमाता के वर्चस्व को बरकार रख पाएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया? जानें चंबल और सिंधिया परिवार का इतिहास

Shanu kumari • LAST UPDATED : October 19, 2023, 4:32 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Gwalior-Chambal Vidhan Sabha Seat:  मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी गई। आदर्श आचार संहिता भी लगा दिए गए। 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवबंर को चुनाव होना है। जिसके परिणाम की घोषणा अन्य चार राज्यों के परिणामों के साथ 3 दिसंबर को की जाएगी। विधानसभा के हर सीटों का अपना इतिहास है। ऐसे में हमारे लिए इसे जानना बेहद जरुरी है। तो आज हम ग्वालियर-चंबल के इतिहास के बारे में जानेंगे।

पार्टी के अंदर के संघर्षों का खेल

मध्यप्रदेश की राजनीतिक इतिहास में सिंधिया परिवार का नाम सबसे ऊपर है। आजादी के बाद राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस पार्टी की ओर से विधायक बन गई। जिसके बाद ग्वालियर-चंबल की राजनीति का पूरा भार उनपर आ गया। वहीं पार्टी के अंदर के संघर्षों के कारण उन्होंने 1967 में कांग्रेस छोड़कर जनसंघ में शामिल हो गई। जिसके बाद मध्यप्रदेश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी।

जिसके बाद राजमाता के नक्शे कदम पर चलते हुए उनके पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपना सियासी सफर कांग्रेस के साथ शुरु किया। जिसके बाद 2020 में सियासी वर्चस्व की जंग में अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा का दामने थामने के साथ उन्होंने भी सरकार बनवाई। साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह देखना काफी ऊजावरक होगा कि इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को सत्ता में आने से रोक पाते हैं या नहीं।

सिंधिया परिवार के इर्दगिर्द घूमती है सियासत 

अगर ग्वालियर-चंबल के इलाके की बात करें तो यहां सिंधिया परिवार का दबदबा है। जबतक राजमाता कांग्रेस में रही तब तक जनसंघ को टिकने नहीं दिया। वहीं 1967 में जनसंघ में शामिल गोती हीं राजमाता ने जनसंघ को पूर्ण बहुमत से जीत दिलाया। जिसके बाद 1972 तक कांग्रेस का ग्वालियर-चंबल के इलाके से कांग्रेस का सफाया हो गया। वहीं 1977 के चुनाव में चंबल इलाके से जनसंघ को एकतरफा जीत मिली। इतिहास एक बार से खुद में दोहराने लगा है।

56 साल के बाद फिर से सिंधिया परिवार की ओर से कुछ ऐसा हीं देखने को मिला। साल 2018 के विधानसभा चनाव में बीजेपी को उखाड़ फेकने वाले ज्योतिरादित्या सिंधिया ने पार्टी के अंदर के संघर्षों के कारण साल 2020 में कांग्रेस को सत्ता से हटा दिया। ग्वालियर-चंबल की सियासत सिंधिया परिवार के इर्दगिर्द घूमती है।

2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी

राजमाता सिंधिया के बाद उनकी बेटी यशोधरा राजे सिंधिया ने और पोता ज्योतिरादित्या सिंधिया ने पूरा भार संभाला है। हांलाकि 2023 विधानसभा चुनाव में राजे सिंधिया ने तबियत सही नहीं होने के कारण चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुकी है। ऐसे में इस बार पूरा जिम्मा ज्योतिरादित्या सिंधिया के ऊपर आने वाला है। बता दें कि मध्यप्रदेश 2020 के उपचुनाव में सिंधिया अपने विधायकों को जीत नहीं दिलवा पाएं। वहीं ग्वालियर-चंबल बेल्ट में कांग्रेस ने पूरी जिम्मेदारी दिग्विजय सिंह को दिया है। दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह का पूरा फोकस ग्वालियर और चंबल पर टिका है।

Also Read:

 

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

Mahadev Betting App Case: Sahil Khan ने गिरफ्तारी से बचने के लिए 4 दिनों में 1800 किलोमीटर की थी यात्रा -Indianews
Supreme Court: झारखंड के पूर्व CM सोरेन को मिल सकती है राहत! अंतरिम जमानत याचिका पर SC ने ED को भेजा नोटिस-Indianews
Richa Chadha ने Heeramandi स्क्रीनिंग से रेखा संग वायरल पल को किया याद, बेबी बंप पर किस वाले किस्से का किया खुलासा -Indianews
Pune: मैनेजर ने सैलरी बढ़ाने से किया इनकार तो युवक कर्मचारी ने उठाया ये कदम, जानकर हो जाएंगे हैरान-Indianews
Karnataka: बेटे प्रज्वल रेवन्ना के विवाद पर कर्नाटक के विधायक का बयान, कहा वीडियो 4-5 साल पुराना- indianews
Sino-Tibet Conflict: चीन-तिब्बत संघर्ष पर पेंपा त्सेरिंग का बयान, कहा- ये समाधान पारस्परिक रूप से लाभकारी होगा-Indianews
रामायण के सेट पर Ranbir Kapoor को लाडली Raha की आती है याद, वैन में जाकर वीडियो कॉल पर करते हैं बात -Indianews
ADVERTISEMENT