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लखनऊ में 111 मदरसे बिना पंजीकरण, सर्वे से हुआ खुलासा

इंडिया न्यूज़ (लखनऊ, 111 Madarsa in Lucknow run without registration): उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 111 मदरसे बिना पंजीकरण के चल रहे है। इसकी रिपोर्ट लखनऊ जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को भेज दी है। इस तरफ की अवैध गतिविधि से ख़ुफ़िया विभाग चिंतित है। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में […]

BY: Roshan Kumar • UPDATED :
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इंडिया न्यूज़ (लखनऊ, 111 Madarsa in Lucknow run without registration): उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 111 मदरसे बिना पंजीकरण के चल रहे है। इसकी रिपोर्ट लखनऊ जिला प्रशासन ने राज्य सरकार को भेज दी है। इस तरफ की अवैध गतिविधि से ख़ुफ़िया विभाग चिंतित है। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में मदरसों के सर्वे के आदेश दिया था। इस सर्वे के तहत की लखनऊ जिला प्रशासन ने भी सर्वे करवाया था।

इन 111 मदरसों में 1952 शिक्षक कार्यरत है और इनमें छात्रों की संख्या 39298 है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

जिला प्रशासन ने कुल 12 बिंदुओं पर सर्वे किया है। सर्वे के बाद जो रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई है उनमे कुल 242 मदरसों के बारे में बताया गया है। इनमें 131 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं मतलब यह सरकारी योजनाओं का लाभ पहले से ले रहे है। जबकि 111 बिना पंजीकरण के है।

जकात के पैसे से चल रहे मदरसे

इन मदरसों को चलाने का पैसा कहा से आता है इसकी कोई जानकारी मदरसों द्वारा नही दी गई। माना जा रहा है की यह मदरसे जकात से पैसे से चलते है। सर्वे में मदरसा संचालकों से जकात के पैसे के बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने देने से इनकार कर दिया।

नपाल बार्डर के आसपास और पश्चिमी यूपी में कई मदरसों ने जकात के पैसे का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों में किया, ऐसी खुफिया एजेंसियों को मिली है। इन मदरसों के तार प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया से जुड़े होने की आशंका है।

इस रिपोर्ट पर लखनऊ के जिला अधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने कहा की “सरकार के निर्देश पर मदरसों का सर्वे कराया गया था। सर्वे पूरा होने के बाद रिपोर्ट भेज दी गई है। अब आगे सरकार के जो भी निर्देश होंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।”

क्या होता है जकात

इस्लाम में अपनी कमाई का 2.5 फीसदी हिस्सा गरीबों, यतीमों, विधवाओं, मुहताजों और दूसरे ज़रूरतमंद लोगों पर खर्च करना जरुरी बताया गया है।

आज ज्यादातर लोग इसका पैसा इस्लामिक संगठनो और मदरसों को देते है। लोग अपनी पूरी साल की कमाई में से 2.5 फीसदी, जकात में देते है।

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