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India News (इंडिया न्यूज़) Bihar : बिहार में ये कहावत है जिसकी जितनी संख्या भारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी । बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े आने के बाद ये तय हो गया कि सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में स्वर्ण काफी कम हैं ,सिर्फ 15 फीसदी। आबादी के हिसाब से अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 27 फ़ीसदी के लगभग है। जबकि अनुसूचित जनजाति 19 फ़ीसदी है। यानि ओबीसी के वोट 65 फीसदी के लगभग है।
बता दें कि बिहार में 81.99 प्रतिशत यानी लगभग 82 फीसदी हिंदू हैं। इस्लाम को मानने वालों की संख्या 17.7% है। इसके अलावा ईसाई, सिख, बौद्ध ,जैन और अन्य धर्म मानने वाले महज 1% से भी कम है। बिहार में जब भारतीय जनता पार्टी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी सरकार में थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दौरान बिहार के विधानसभा और विधान परिषद ने जाति आधारित गणना का प्रस्ताव पारित किया था। 1 जून 2022 को एक सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित किया गया।
ख़बरों के अनुसार राहुल गांधी मध्य प्रदेश में बोल चुके है की देश भर में जातीय जनगणना होनी चाहिए। अगर उनकी सरकार बनती है तो सबसे पहले यही रहेगा। कांग्रेस इसपर काम कर चुकी है। डाटा केंद्र के पास है। लेकिन मोदी सरकार नहीं चाहती डाटा को सार्वजनिक करना। इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। खड़गे के मुताबिक सामाजिक न्याय के लिए ये जरूरी है और इससे नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
जदयू और आरजेडी ही नहीं केजरीवाल की आप पार्टी दिल्ली में भी चाहती है की जाति जनगणना हो। यूपी में इसके पक्ष में अखिलेश सिंह भी बोल चुके हैं , जाति जनगणना को लेकर झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार जल्द ही विधानसभा से इस प्रस्ताव को पारित करने वाले हैं। बहरहाल नीतीश कुमार के 215 जातियों के आंकड़े जारी होने के बाद सियासी गणित में मंडल की राजनीति का नया दौर शुरू हो सकता है।
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