होम / Colorectal Cancer में इम्यून कंट्रोलिंग के काम नहीं करने की वजह आई सामने

Colorectal Cancer में इम्यून कंट्रोलिंग के काम नहीं करने की वजह आई सामने

Sameer Saini • LAST UPDATED : October 14, 2021, 5:35 am IST

Colorectal Cancer : कैंसर के इलाज को लेकर हुई एक स्टडी से कुछ अच्छे संकेत मिले हैं। हाल के एक रिसर्च में यह पता लगाया गया है कि कुछ प्रकार के कोलोरेक्टल कैंसर में इम्यून चेकपॉइंट प्रतिरोधक काम क्यों नहीं करता है और इस तरह के प्रतिरोधों से निपटने की क्या रणनीति हो सकती है? कैंसर के इलाज में ट्यूमर कोशिकाओं के खिलाफ इम्यून प्रतिक्रिया के मामले में इम्यून चेकपॉइंट प्रतिरोधक से क्रांतिकारी बदलाव आया है।

जबकि बहुत सारे रोगियों खासकर कोलोरेक्टल (आंत और मलाशय) कैंसर से ग्रस्त लोगों पर दवा का पर्याप्त असर नहीं होता है। एमडीएस यानी मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा के रिसर्चर्स के नेतृत्व में की गई ये स्टडी पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित हुई है। एमजीएच के ईएल स्टील लेबोरेटरीज फॉर ट्यूमर बायोलॉजी के डायरेक्टर और इस रिसर्च के राइटर डॉ राकेश के जैन और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी  के प्रोफेसर एंड्रयू वर्क कुक ने बताया कि कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ितों की मौत का एक बड़ा कारण लिवर मेटास्टेसिस है। मतलब कैंसर लीवर तक फैल जाता है। (Colorectal Cancer)

क्या रहा परिणाम (Colorectal Cancer)

इस रिसर्च के को-राइटर दाई फुकुमुरा का कहना है कि हमने पाया कि चूहों के मॉडल स्टडी में कोलोरेक्टल कैंसर की स्थिति में रोगियों की तरह ही इम्यून चेकपॉइंट प्रतिरोधकों का बर्ताव रहा। इस परिणाम से यह बात सामने आई कि जिस वातावरण में कैंसर सेल्स बढ़ते हैं, वह इम्यूनोथेरेपी की प्रभावशीलता को कैसे प्रभावित कर सकता है? साथ ही इसमें सबसे अहम संकेत यह मिला कि इस मॉडल का इस्तेमाल इम्यून चेकपॉइंट के कामकाजी प्रतिरोध की स्टडी में किया जा सकता है, क्योंकि कोलोरेक्टल कैंसर के रोगियों में भी कमोबेश यही स्थिति बनती है।

चूहों पर किया प्रयोग (Colorectal Cancer)

यह पता लगाने के लिए कि लिवर मेटास्टेसिस किस प्रकार से इम्यून चेकप्वाइंट ब्लॉकेड का प्रतिरोध करता है, जैन और उनके सहकर्मियों ने चूहों के लिवर मेटास्टेसिस में मौजूद प्रतिरक्षी (इम्यून) कोशिकाओं की संरचना का त्वचा में इंजेक्ट की गई कोलोरेक्टल कैंसर की कोशिकाओं से तुलना की। इसमें पाया गया कि लिवर मेटास्टेसिस में कुछ खास इम्यून कोशिकाएं नहीं थी, जिन्हें डेंड्रिटिक सेल्स कहते हैं और ये अन्य इम्यून कोशिकाओं (साइटोटोक्सिक टी लिंफोसाइट्स) को एक्टिव करने में अहम होते हैं। यह साइटोटोक्सिक टी लिंफोसाइट्स कैंसर सेल को मार सकते हैं।

यही स्थिति रोगियों के लिवर मेटास्टेसिस में देखी गई कि डेंड्रिटिक कोशिकाओं और एक्टिव टी लिंफोसाइट्स का अभाव था। रिसर्च करने वालों ने जब लिवर मेटास्टेसिस में खास प्रक्रिया के जरिये डेंड्रिटिक सेल्स की संख्या बढ़ाई, तो पाया कि ट्यूमर में साइटोटोक्सिक टी लिंफोसाइट्स में भी वृद्धि हुई और ट्यूमर इम्यून चेकपॉइंट प्रतिरोधकों के प्रति ज्यादा संवेदनशील भी हो गया।

विसंगति को समझने के लिए किया प्रयोग (Colorectal Cancer)

डॉ राकेश जैन का कहना है कि कोलोरेक्टल कैंसर जब लिवर तक फैल जाता है, तो ऐसे ज्यादातर मामलों में इम्यून चेकपॉइंट प्रतिरोधक की प्रतिक्रिया प्रभावी नहीं रह जाती है। लेकिन रिसर्च टीम ने जब कोलोरेक्टल कैंसर सेल्स को चूहों के पिछले हिस्से की त्वचा में इंजेक्ट किया तो इम्यून चेकपॉइंट प्रतिरोध की प्रतिक्रिया अच्छी रही, जबकि रोगियों में ऐसा देखने को नहीं मिलता है। रिसर्चर्स ने इस विसंगति को समझने के लिए कैंसर सेल्स को आंत और लिवर में इंजेक्ट किया।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस व्यवस्था या चिकित्सकीय सलाह शुरू करने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह लें।

Also Read : Control of Obesity इन रोगों के मरीजों को जरूर रखना चाहिए मोटापे पर कंट्रोल

Connect With Us : Twitter Facebook

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT